आत्मबल के सहारे सबल बनकर राजनीति मे स्थापित नेता बन गए हैं नारायण चंदेल । नाराज कार्यकर्ताओं की नाराज़गी की भरपाई नए लोगों को जोड़कर करते है चंदेल । इस बार भारी मतों से जीतने चंदेल के समर्थक आशान्वित है ।


संवाद यात्रा/जांजगीर चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत


छत्तीसगढ़ विधानसभा मे नेता प्रतिपक्ष एवं जांजगीर चांपा विधानसभा क्षेत्र के क्षेत्रीय विधायक नारायण चंदेल को भाजपा ने इस बार फिर मैदान मे उतारा है । पिछले दो दशकों से पार्टी ने उनपर विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट दिया इस दौरान एक बार जीत ,एक बार हार का अनुभव चंदेल को हुआ। अपनी हार से विचलित न होते हुए चंदेल दुगनी ताकत से जनता के बीच सक्रिय रहकर काम करने लगते थे यही कारण है कि उनके आत्म बल का लोहा पार्टी भी मानती है और एक बार पुनः चंदेल को चुनावी समर मे उतारा गया है । 

ढाई दशकों से पार्टी उन्हें प्रत्याशी बनाती रही है जिसके कारण कुछ कार्यकर्ताओं मे इस बार बदलाव की उम्मीद जागी थी लेकिन सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए पार्टी ने चंदेल पर ही भरोसा जताया है । 

पार्टी मे टिकट मांगने वालों की कमी नहीं थी । सब अपने अपने ढंग से अपनी योग्यतानुसार टिकट पाने के लिए आशान्वित भी थे किन्तु इन सबको पीछे छोड़ते हुए जीते हुए प्रत्याशी के रूप मे अपने आपको मजबूत प्रत्याशी बताते हुए चंदेल पुनः टिकट पाने मे सफल रहे हैं। 

पार्टी में विरोध स्वाभाविक है इस बात को चंदेल भली भांति जानते है यही कारण है कि वे नाराज कार्यकर्ताओं की नाराज़गी को ज्यादा अहमियत न देते हुए नाराजगी की भरपाई नए लोगों को जोड़कर करते हैं और इसमें उन्हें सफलता भी मिलती रही है ।‌

हार और जीत से परे राजनीति मे स्थापित नेता बन चुके है चंदेल ..

कभी जीत कभी हार के अनुभव के बीच नारायण चंदेल राजनीति मे एक स्थापित नेता बन गए है । आम तौर पर अनेक नेता चुनाव हारने के बाद हताश हो जाते है और आम जनता से दूर हो जाते है । पर चंदेल ऐसे नेता है जो चुनाव हारने के बाद निराशा और हताशा को अपने ऊपर कभी हावी होने नहीं दिया और चुनाव हारने के बाद दुगनी शक्ति से पार्टी और आम जनता के बीच सक्रिय रहते है जिसके चलते यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि चंदेल राजनीति मे एक स्थापित नेता बन गए हैं।‌ 

नेताओं का बिखराव: चंदेल का ठहराव

चुनाव के ठीक पहले पार्टी के अनेक नेता टिकट पाने की जुगत मे लग जाते है और अपने आप चंदेल के विकल्प के रूप मे  संगठित नहीं कर पाते नेताओं का यह बिखराव ही चंदेल के लिए ठहराव बन जाता है । खैर ...

पार्टी द्वारा चंदेल को पुनः प्रत्याशी घोषित करने के बाद खासकर युवा कार्यकर्ताओं मे खुशी का माहौल है और उनके समर्थक इस बार भारी मतों से चुनाव जीतने के प्रति आशान्वित हैं।

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