क्या आम जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए कांग्रेस ने दिया व्यास कश्यप को टिकट?

संवाद यात्रा/अनंत थवाईत/जांजगीर चांपा/छत्तीसगढ़ 



पिछले ढाई दशक से जांजगीर-चांपा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से नारायण चंदेल और कांग्रेस से मोतीलाल देवांगन चुनाव लड़ते रहे हैं । और दोनों को "कभी खुशी कभी ग़म" की तर्ज पर जीत हार का अनुभव मिलता रहा है । नारायण चंदेल और मोतीलाल देवांगन दोनों के अपने अच्छे खासे समर्थक हैं जो चाहते हैं कि इन्हें ही टिकट मिले । लेकिन दूसरी ओर पच्चीस वर्ष पहले प्रथम बार मतदान का उपयोग करने वाले युवाओं के साथ ही आम मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा है जो यह चाहता रहा है कि कांग्रेस और भाजपा को अपना प्रत्याशी बदलना चाहिए।यही कारण है कि जब कांग्रेस ने पारंपरिक रूप से ढाई दशक तक चुनाव मे प्रत्याशी बनने वाले मोतीलाल देवांगन का टिकट काटकर व्यास कश्यप को टिकट दिया है तब यह सवाल सहज ही उठ रहा है कि क्या कांग्रेस ने आमजनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए व्यास कश्यप पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया है ? 

फिलहाल अब चुनाव मैदान मे भाजपा से नारायण चंदेल और कांग्रेस से व्यास कश्यप के उतरने से चुनाव दिलचस्प हो चला है। एक ओर नारायण चंदेल अपने आत्मविश्वास के दम पर जीत की उम्मीद पाले हैं तो दूसरी ओर पिछले विधानसभा मे मिले मतों को ( तब व्यास बसपा के प्रत्याशी थे ) फिर से समेटने और कांग्रेस के परंपरागत मतो के सहारे व्यास कश्यप अपनी जीत सुनिश्चित मान रहें है ।

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