8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : कविता कन्नौजे सीनियर नर्सिंग आफीसर एम्स रायपुर

संवाद यात्रा /जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ /अनंत थवाईत

आज पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है । महिलाओं की योग्यताओं , उपलब्धियों,साहस, धैर्य, दया ,ममता,करुणा आदि के संबंध मे लोग लिख रहे है , चर्चा कर रहे हैं। ऐसे समय मे रायपुर एम्स मे सीनियर नर्सिंग आफीसर के रूप मे कार्यरत कविता कन्नौजे ने नारी के प्रति अपनी भावनाओं को शब्दों मे पिरोकर "कविता" प्रेषित की है जिसे हम यहां ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर रहे हैं ....

हे नारी मैं तुम पर क्या लिखूं?..

हे नारी ! आज मन मे विचार आया कि तुम पर मै क्या लिखूं? बहुत सोचा समझा चिंतन किया ,नारी नाम का मंथन किया 

ज्ञात हुआ कि तुम तो नारी हो तुम खुद ही दुनिया सारी हो 

तुमसे ही तो आज यह कविता है तो 

हे नारी तुम पर मैं क्या लिखूं ?


नारी, स्त्री ,महिला ,औरत नाम तो बहुत है तेरे 

तुम ही दुर्गा काली सीता अनेक रूपों में पाई जाती हो 

तुम ही नारायण की लक्ष्मी नारायणी कहलाती हो 

तुम खुद ईश्वर की प्यारी रचना हो, तो 

हे नारी तुम पर मैं क्या लिखूं ?


यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता प्राचीन काल से ही देवी मानी जाती हो

मातृत्व महिमा से मंडित सौभाग्य शृंगारिक जननी हो

"है भूमि माता मेरी हम धरा के पुत्र हैं" ऐसा अर्थ वेद में लिखी जाती हो 

जब आदिकाल से ऐतिहासिक वर्णन तेरा, तो

हे नारी तुम पर मैं क्या लिखूं ?


बाल्यावस्था से मृत्यु पर्यंत तक तुम्हीं हमारी रक्षक हो

तुम ही गृह स्वामिनी तुम शिशु की प्रथम शिक्षक हो 

यज्ञ अनुष्ठान निर्माण सब अधूरे हैं तुम बिन 

ऐश्वर्य से अलंकृत सृष्टि का उत्सव खुद पुरुष की प्रेरणा हो तो ,

हे नारी तुम पर मैं क्या लिखूं?


तुम शिक्षित हो सशक्त हो तुम आधुनिक समाज बनाती हो

दुनिया की आधी आबादी हो पर पूरी दुनिया की ताकत हो

अपनी उपेक्षा होने पर हर शक्ति अधिकार के लिए लड़ जाती हो

"एक महिला शिक्षित होते ही एक पीढ़ी शिक्षित होती है"जब लिखा ब्रिंघम विद्वान ने तो

हे नारी तुम पर मैं क्या लिखूं ?


तुमसे ही घर परिवार समाज और देश बना तुम एक मूल इकाई हो

सूरज जैसा तेज चंद्रमा जैसी शीतलता फूलों सी मोहकता पाई हो

दया, करुणा, ममता, त्याग बलिदान आरंभ से अंत तक समाई हो

तुम ही समर्थ अस्तित्व सबसे सुंदर कृति हो तो 

हे नारी तुम पर मैं क्या लिखूं ?


साहित्य कला राष्ट्र के उत्थान में तुम्हारा योगदान अवर्णनीय है

चिकित्सा, शिक्षा, पुलिस प्रशासन में उपलब्धियां प्रशंसनीय है

भीरुता संकोच शीलता से मुक्त तेरा रूप वंदनीय है

तुम स्त्री स्वयं सिद्धा गुणों की संपदा हो,तो

हे नारी तुम पर मैं क्या लिखूं?


समस्त सामाजिक संदर्भों में तेरी सक्रियता को राष्ट्र ने स्वीकारा है

विश्व के कण-कण को स्वर्णिम भावना से तुमने ही संवारा है

सोचा कि विश्व तारा, घोषा, अपाला, के नाम पर तेरा उदाहरण दूं

तुम खुद उपलब्धियों की हो पर्याय  हर रूप में तुम हमें प्यारी हो

बस इतनी ही है "कविता" की "कविता" की नारी तुम नारायणी हो

थम गई है अब "कविता" की कलम कि कैसे तेरा बखान करूं? तुम ज्ञान की देवी सरस्वती मैं तो एक अर्धज्ञानी हूं ,तो 

हे नारी तुझ पर मैं क्या लिखूं ?



                              कविता कन्नौजे 

                सीनियर नर्सिंग आफीसर एम्स रायपुर








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