भारी वाहनों के लिए नो एंट्री का टाइम रात्रि दस यातायात के जवान ड्यूटी निभाने को बेबस
संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत
प्रतिकात्मक तस्वीर
इन दिनों चांपा नगर के भीतर भारी वाहनों की नो एंट्री का समय सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे कर दी गई है । यह निर्णय वाहन चालकों एवं चौराहों पर तैनात यातायात के जवानों के लिए समस्या बन रही है । लेकिन ड्यूटी पर तैनात जवान अनुशासन में बंधे होने के कारण इस निर्णय का विरोध नहीं कर पा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पुलिस विभाग मे कार्यरत जवानों की विभिन्न समस्याओं एवं मानसिक बोझ को कम करने का प्रयास समय समय पर उच्चाधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है । या यूं कहें कि प्रयोग किया जाता रहा है । इसके पीछे की सोच यह होती है कि जवानों मे मानसिक तनाव न बनने पाए। मानसिक तनाव के चलते जवानों द्वारा कार्यालय मे या परिवार के बीच अप्रिय घटनाओं को जन्म देने की खबरें भी समय समय पर आती रही है ,यही कारण है कि पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा समय समय पर जवानों की ड्यूटी के दौरान होने वाली समस्याओं की समीक्षा की जाती रही है और जवानों की मानसिक तनाव कम करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश भी जारी की जाती रही है। और इस आशय का प्रस्ताव या सुझाव सरकार को भी सौंपी जाती रही है। लेकिन इन दिनों यातायात पुलिस जवानों के लिए अपने उच्चाधिकारियों का आदेश ही मानसिक तनाव का कारण बना हुआ है।
ज्ञात हो कि पूर्व मे चांपा नगर मे भारी वाहनों की नो एंट्री सुबह 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक लगी रहती थी। 9 बजे ड्यूटी करने के पश्चात जवान दस बजे तक अपने घर पहुंच जाते थे और परिवार के साथ हंसी ख़ुशी समय बिताते हुए एक साथ भोजन करते थे साथ ही घर मे टीवी देखने या अन्य मनोरंजन के कार्यक्रमों में भी परिवार के साथ समय बिताते थे। लेकिन इन दिनों यातायात विभाग के उच्चाधिकारी द्वारा जवानों के लिए नए फरमान जारी किए गए है और भारी वाहनों की नो एंट्री रात्रि 9 बजे के बजाय 10 बजे कर दी गई है । इस नए फरमान से जहां वाहन चालकों को परेशानी उठानी पड़ रही है वहीं ड्यूटी पर तैनात जवान भी परेशान हो रहे है । नो एंट्री के समय मे बदलाव होने से जवानों को एक ओर वाहन चालकों के साथ तु तु मैं करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर परिवार के बीच समय बिताने के लिए भी मानसिक तनाव उठाना पड़ रहा है। दूसरे विभागों की तरह पुलिस विभाग के जवान अपनी समस्याओं को लेकर आवाज भी नहीं उठा सकते। यदि आवाज उठाते है तो अनुशासनहीनता का आरोप लगा कर उन पर विभागीय कार्रवाई की जा सकती है । यही कारण है कि सर्दी,धूप बरसात के मौसम मे भी ये अपनी ड्यूटी निभाने बेबस रहते है ।








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