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कभी जलेबी बना रहे हैं, कभी मंजीरा बजाते नाच रहे हैं , कभी बाल हनुमान को कांधे पर बैठा रहे है तो कभी खेत मे हंसिया पकड़े दिखाई दे रहे हैं ब्यास कश्यप आम जनता के बीच सरल सहज छबि बनाकर चुनावी बैतरणी पार करने का पुरजोर प्रयास

व्यास कश्यप तो केवल नाम का है असल मे नारायण चंदेल का टक्कर भूपेश बघेल और डा .महंत से है भाजपा कार्यकर्ताओं का एक वर्ग चंदेल को छाया मुख्यमंत्री नहीं, वास्तविक मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता है ।

क्या आम जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए कांग्रेस ने दिया व्यास कश्यप को टिकट?

आत्मबल के सहारे सबल बनकर राजनीति मे स्थापित नेता बन गए हैं नारायण चंदेल । नाराज कार्यकर्ताओं की नाराज़गी की भरपाई नए लोगों को जोड़कर करते है चंदेल । इस बार भारी मतों से जीतने चंदेल के समर्थक आशान्वित है ।

चांपा का गणेशोत्सव विलुप्त होने लगा है कुछ छुटभैय्ये असमाजिक तत्वों के आगे क्या प्रशासन लाचार है ? नगर हित की बात करने वाले दर्जनों जन प्रतिनिधियों, जनसेवकों,को इससे कोई सरोकार नहीं? पुलिस थाने मे बने नागरिकों की शांति समिति का आखिर औचित्य क्या है?

प्रदेश कांग्रेस सचिव टिंकू मेमन अकलतरा विधानसभा प्रभारी बने

जिस विभाग के खिलाफ चले आंदोलन मे राजकरण दुग्गड़ की मौत हुई उसी विभाग से श्रद्धांजलि कार्यक्रम व्यवस्था के लिए लिखित याचना करना कहां तक उचित? क्या राजकरण दुग्गड़ स्मृति समिति फूल माला के लिए दो चार सौ रुपए खर्च करने में सक्षम नहीं?

अट्ठारह वर्ष पूर्व राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा ने स्थापित किया था शहीद राजकरण दुग्गड़ की प्रतिमा ... दो वर्ष पूर्व प्रतिमा स्तंभ का हुआ था सौंदर्यीकरण नपा अध्यक्ष जय थवाईत उपाध्यक्ष हरदेव देवांगन की विशेष उपस्थिति मे समाजसेवी कैलाश अग्रवाल जी ने किया शिलालेख का अनावरण

अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन मे सम्मानित हुई शिक्षिका ऋतंभरा कश्यप

सवाल बना तस्वीर,क्या फिर जागेगा मेमन की तकदीर ..

मूत्रालय शौचालय मे अपने नाम का शिलालेख लगाने वाले नेताओं को आखिर शहीद की प्रतिमा स्तंभ मे अपना नाम लिखवाने मे शर्म क्यों ? क्षुद्र राजनीति का यह कैसा काम ? शहीद की प्रतिमा स्तंभ पर नहीं है उसका नाम