चांपा का गणेशोत्सव विलुप्त होने लगा है कुछ छुटभैय्ये असमाजिक तत्वों के आगे क्या प्रशासन लाचार है ? नगर हित की बात करने वाले दर्जनों जन प्रतिनिधियों, जनसेवकों,को इससे कोई सरोकार नहीं? पुलिस थाने मे बने नागरिकों की शांति समिति का आखिर औचित्य क्या है?

 

संवाद यात्रा/जांजगीर चांपा/छत्तीसगढ़/ अनंत थवाईत 

एक समय था जब चांपा मे गणेशोत्सव की धूम हुआ करती थी। गणेश मेला मे आसपास के गांवों से हजारों लोग आते थे । रात भर गम्मत चलता था । खाने पीने के साथ ही विभिन्न प्रकार खिलौने,  विविध सामानों की दुकानें सजती थी और रात रात भर व्यवसाय चलता था। लेकिन धीरे-धीरे यह सब विलुप्त हो रहा है । 

अश्लीलता के नाम पर एवं उपद्रव की आशंका व्यक्त करते हुए प्रशासन द्वारा  गम्मत के लिए अनुमति नहीं दी जाती। ऐसे मे इस विलुप्त होती गणेशोत्सव के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है ?यह सवाल सहज ही उठता है ।

यह बात सही है कि गम्मत कार्यक्रम के दौरान नगर के कुछ हिस्सों मे उपद्रव की छुटपुट घटनाएं होती थी। लेकिन इन घटनाओं पर अंकुश कैसे लगे इस बात की चिंता न करते हुए सीधे सीधे गम्मत कार्यक्रम पर ही प्रतिबंध लगाना कहां तक उचित है? बड़े-बड़े नेताओं की सभा एवं सुरक्षा के लिए प्रशासन पुरी तरह सक्रिय रहती है और कार्यक्रम कराती है तब क्या छत्तीसगढ़ की अस्मिता से जुड़े लोक कलाकारों के कार्यक्रम को संपन्न नहीं कराया जा सकता? यह एक बड़ी विडंबना है कि जो गम्मत छत्तीसगढ़ की संस्कृति का एक हिस्सा है उसे अश्लीलता के नाम पर प्रतिबंधित किया जाता है । यह भी सही है कि बदलते समय के अनुसार गम्मत के स्वरूप मे भी बदलाव आया है और नृत्य मे पुरूषों के साथ साथ महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है महिलाओं, युवतियों के नृत्य और छोटे कपड़े को देखकर ही गम्मत को अश्लील  माना जाने लगा। लेकिन कुछ शर्तों के साथ गम्मत कार्यक्रम की अनुमति तो दी जा सकती है । 

गणेशोत्सव के दौरान होने वाले इस गम्मत कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाए जाने से सहज ही यह सवाल उठता है कि क्या कुछ मुट्ठी भर असामाजिक तत्वों के आगे प्रशासन लाचार है ? क्या सुरक्षा के समुचित व्यवस्था के साथ गम्मत कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा सकता?

नगर हित एवं नगर की अस्मिता की बात करने वाले यहां दर्जनों जनप्रतिनिधियों जनसेवकों की कमी नहीं है क्या उनको इस विलुप्त होती नगर की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए कोई सरोकार नहीं है ?

समय-समय पर और पर्व विशेष के अवसरों पर पुलिस थाने मे शांति समिति की बैठक आयोजित की जाती है और नगर मे शांति बनाए रखने आपस मे सहयोग करने की बात कही जाती जाती है । ऐसी स्थिति में गणेशोत्सव के दौरान गम्मत जैसे लोककला के आयोजन पर सहमति क्यों नहीं बन बाती ? क्या इसके लिए शांति समिति का कोई औचित्य नहीं है?

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