मूत्रालय शौचालय मे अपने नाम का शिलालेख लगाने वाले नेताओं को आखिर शहीद की प्रतिमा स्तंभ मे अपना नाम लिखवाने मे शर्म क्यों ? क्षुद्र राजनीति का यह कैसा काम ? शहीद की प्रतिमा स्तंभ पर नहीं है उसका नाम
संवाद यात्रा / जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ / अनंत थवाईत
प्रतिमा देखकर ऐसा लगता है कि यह कोई कम उम्र का फौजी रहा है जो अपने कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए शहीद हुआ है । उसकी शहादत को अमर बनाने के लिए और युवाओं को देशप्रेम के लिए प्रेरित करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों या नागरिकों ने उसकी प्रतिमा स्थापित की हो ।
नगर के हृदय स्थल बापू बालोद्यान के बड़े द्वार के एक किनारे पर स्थापित प्रतिमा ( जिस पर कोई नाम नहीं है ) को देखकर अनजान लोगों के मन मे उपरोक्त विचार आना स्वाभाविक है । लेकिन इस स्थिति के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाय उन स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जो केवल अपने व्यवसायिक लाभ के लिए राजनीति करते हुए नगर की जनता को बेवकूफ बनाने का कार्य कर रहे है ? या स्थानीय प्रशासन के उन अधिकारियों को दोषी ठहराया जाय जो जनप्रतिनिधियों के स्वार्थ पूर्ति मे लगे रहते हैं ? या उस जनता को दोषी ठहराया जाय जो चुनाव आने पर जनप्रतिनिधि चुनने के बाद अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझते हैं और हर बात के लिए जनप्रतिनिधियों को सिर्फ कोसने का काम करते हैं ?
उपरोक्त बातों को पढ़ने के बाद और तस्वीर देखने के बाद आपके मन मे भी यह सवाल सहज रूप से उठ रहा होगा कि आखिर ये प्रतिमा किसकी है ? तो हम बता दें कि यह प्रतिमा शहीद सुधीर पाठक की है । सेना मे लांस नायक के पद पर कार्यरत सुधीर पाठक पांच सितंबर दो हजार पांच मे कश्मीर घाटी मे वाहन दुर्घटना के दौरान शहीद हो गए थे । नगर की क्षुद्र राजनीति के चलते शहीद सुधीर पाठक की प्रतिमा स्तंभ पर न तो नाम लिखा गया है ओर न ही उसके शहादत की कोई बात लिखी गई है ।
नगर विकास के लिए कथित रूप से संकल्पित नेताओं की हमारे नगर मे कमी नहीं हैं । लेकिन शहीद की प्रतिमा को सुरक्षित संरक्षित रखना शायद इन नेताओं के नजर मे "नगर विकास" का काम नहीं हैं । मूत्रालय, शौचालय मे भी अपने नाम का शिलालेख लगाने वाले नेताओं को आखिर इस शहीद की प्रतिमा स्तंभ मे शहीद के नाम के साथ अपना नाम लिखवाने मे शर्म क्यों आ रही ? या फिर अन्य कार्यों की तरह प्रतिमा निर्माण मे भ्रष्टाचार हुआ है और लोकार्पण का मामला लटका हुआ है ? ये प्रतिमा निर्माण कराने वाले ही बता सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि नगरपालिका द्वारा तीन चार वर्ष पूर्व बापू बालोद्यान के पास शहीद सुधीर पाठक की प्रतिमा स्थापित की गई थी । लेकिन इस प्रतिमा का विधिवत लोकार्पण आज तक नहीं हुआ । प्रतिमा को ढंकने के लिए बांधा गया कपड़ा भी फट कर निकल गया है । प्रतिमा का रंग भी धीरे धीरे निकल रहा है और प्रतिमा मे पीपल का पेड़ उग आया है । प्रतिमा का लोकार्पण अब तक क्यों नहीं हो पाया ? और उस पर शिलालेख का पत्थर क्यों नही लगाया गया इन सब बातों की सही जानकारी नगरपालिका से ही मिल सकती है।
आज शहीद सुधीर पाठक की पुण्यतिथि है।लोग उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे फोटो खिंचवाएंगे और अपने अपने कामों मे व्यस्त हो जाएंगे लेकिन शहीद की प्रतिमा अपने नाम और सम्मान के लिए नेताओं की राह ताकते रहेगी।







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