जिस विभाग के खिलाफ चले आंदोलन मे राजकरण दुग्गड़ की मौत हुई उसी विभाग से श्रद्धांजलि कार्यक्रम व्यवस्था के लिए लिखित याचना करना कहां तक उचित? क्या राजकरण दुग्गड़ स्मृति समिति फूल माला के लिए दो चार सौ रुपए खर्च करने में सक्षम नहीं?
संवाद यात्रा/जांजगीर चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत
मेरी बातें भले ही कुछ लोगों को चुभ सकती है पर यह एक विचारणीय पहलु है कि 1983 मे पानी बिजली साफ सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर नगरपालिका परिषद के खिलाफ जन आंदोलन चला और उस आंदोलन मे 24 सितंबर को छात्र राजकरण दुग्गड़ की मौत हो गई। लोग भावनात्मक रूप से उसे शहीद मानने लगे और जब तक जन आंदोलन से जुड़े लोगों पर न्यायालय मे मामला चला तब तक लोग 24 सितंबर को काला दिवस मनाते थे । जब न्यायालीन मामला खत्म हुआ तब लोग इसे शहीद दिवस,और गोलीकांड की बरसी के रूप में मनाने लगे। यहां तक तो बात ठीक है लेकिन हर साल मनाए जाने वाले राजकरण दुग्गड़ श्रद्धांजलि कार्यक्रम के लिए राजकरण दुग्गड़ स्मृति समिति का नगर पालिका परिषद को लिखित मे याचना करना कहां तक उचित है ? क्या श्रद्धांजलि कार्यक्रम के लिए दो चार सौ रूपए खर्च करने में राजकरण दुग्गड़ स्मृति समिति सक्षम नहीं है?
नगर के अनेक लोगों का मानना है कि नगरपालिका के खिलाफ चले आंदोलन में जिस छात्र राजकरण दुग्गड़ की मौत हुई उसी की श्रद्धांजलि कार्यक्रम के लिए नगरपालिका से फूलमाला आदि व्यवस्था करने लिखित मे मांग करना किसी भी रूप मे उचित नहीं है । कुछ लोगों का मानना है कि राजकरण दुग्गड़ स्मृति समिति के इसी रवैये के चलते नगर के लोगों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपस्थित होने की भावना नहीं बन पाती ।







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