क्या नगरपालिका परिषद की आड़ मे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की फिर से हार की भूमिका लिखी जा रही है? भाजपा को भी सावधान रहने की जरूरत ।
संवाद यात्रा /जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ /अनंत थवाईत
जिस प्रकार इन दिनों नगरपालिका परिषद चांपा से जुड़ी खबरे पढ़ने एवं सुनने को मिल रही है उससे एक ही सवाल उठता है कि क्या नगरपालिका परिषद चांपा की आड़ में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की भूमिका लिखी जा रही है ?
हम इस बात का अंदाजा इसलिए कर रहे है कि हर दो चार दिन मे नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की खबरे आने लगती है।और नगर की राजनीति के संबंध में चर्चाएं शुरू हो जाती है । इन सबके बीच महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी तक पालिकाध्यक्ष के खिलाफ न तो सत्तापक्ष के पार्षदों ने और न ही विपक्ष के पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव संबधी जानकारी लिखित मे प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे साफ होता है कि कुछ लोगों का ऐसा गिरोह सक्रिय है जो नगरपालिका के आड़ मे आगामी विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस की हार लिखने की तैयारी मे जुटे है । ये कौन लोग है ? किसके इशारे मे कर रहे है ? और क्यों कर रहे है ? इन सब बातों को कांग्रेस के आलाकमान को सोचना होगा।
दुसरी तरफ नगरपालिका मे चल रहे कथित अविश्वास प्रस्ताव के खेल मे भाजपा को सावधान रहने की आवश्यकता है। और कोई भी निर्णय लेने के पहले सारे मामले को बारीकी से समझने की जरूरत है ।
नगरपालिका परिषद में ऐसे तत्व सक्रिय है जो बात तो पालिकाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की करते हैं लेकिन साथ ही नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ भी चर्चा करते हुए उनको भी हटाने की संभावना तलाशते रहे है । लेकिन वे न तो पालिकाध्यक्ष के खिलाफ और न ही नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कुछ करने एवं बोलने मे समर्थ है। इन विध्न संतोषी तत्वों को मालूम है कि नगर पालिका मे पार्षद बनना या नेता बनना स्थायी नहीं होता लेकिन नगर की जनता रहना स्थायी है यही कारण है कि ऐसे तत्व केवल समाचारों के माध्यम से नगरपालिका परिषद के कामकाजों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे है। और अपने अपने स्वार्थ सिद्धि मे लगे हुए हैं।








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