अनुपम श्रीवास्तव के अलावा सामान्य वर्ग से आज तक कोई भी भाजपा मंडल अध्यक्ष नहीं बना दो बार अल्पसंख्यक वर्ग से बने है भाजपा मंडल अध्यक्ष क्या इस बार भी ऐसा होगा ? या फिर सामान्य वर्ग के हाथों होगा भाजपा नगर मंडल की कमान? भाजपा संगठन चुनाव की चर्चा ,उम्र की सीमा ने समीकरण बिगाड़ा
संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत
इन दिनों भाजपा का संगठन चुनाव चल रहा है .प्रथम चरण मे बुथ समितियों का चुनाव संपन्न हो गया और दुसरे चरण मे मंडल अध्यक्ष और कार्यकारिणी का चुनाव होना है ऐसे मे चांपा भाजपा मंडल चुनाव को लेकर दिलचस्प चर्चा छिड़ी हुई है। संगठन चुनाव की घोषणा के साथ ही इस बार पार्टी ने नगर मंडल और जिला अध्यक्ष के लिए उम्र की सीमा तय कर दी। मंडल अध्यक्ष के लिए अधिकतम 45 वर्ष और जिलाध्यक्ष के लिए अधिकतम 60 वर्ष आयु की सीमा तय की गई है.उम्र की इस बाध्यता के चलते मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष पद की लालसा लिए अनेक लोगों के मनसूबे पर पानी फिर गया खैर....
हम चर्चा कर रहे थे चांपा भाजपा मंडल की , चांपा भाजपा के लगभग चालीस वर्ष के इतिहास को देखा जाए तो यहां शुरू से मंडल अध्यक्ष पद पर पिछड़ा वर्ग के लोग ही आसीन रहे है । पूर्व मे राम चरण सोनी , स्व देव राम थवाईत,स्व किशोरी लाल श्रीवास , नंदकुमार देवांगन,प्रदीप नामदेव , संतोष सोनी मंडल अध्यक्ष रहे हैं वर्तमान मे गणेश श्रीवास मंडल अध्यक्ष हैं । इस बीच सन 1991 मे जब भाजपा मंडल अध्यक्ष देवराम थवाईत को पार्टी से निस्कासित किया तब कुछ दिनों के लिए स्व शंकर पाठक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. एक बार संगठन चुनाव मे पदमेश शर्मा का मंडल अध्यक्ष बनना लगभग तय था किन्तु कुछ लोगों के वाद विवाद और हाथापाई के चलते चुनाव स्थगित करा दिया गया और बाद मे सुनील सेठी (अल्पसंख्यक वर्ग) को मंडल अध्यक्ष मनोनीत किया गया। गणेश श्रीवास के पहले संतोष जब्बल (अल्पसंख्यक वर्ग) मंडल अध्यक्ष रहे हैं । इस तरह चांपा भाजपा मंडल के इतिहास को देखा जाए तो मंडल मे अधिकांश समय पिछड़े वर्ग के लोग ही अध्यक्ष रहे हैं .
अभी वर्तमान में चांपा भाजपा मंडल अध्यक्ष के लिए दो नामों की चर्चा ज्यादा चल रही है एक तो वर्तमान मंडल महामंत्री राजेंद्र तिवारी ( सामान्य वर्ग) और दूसरा पूर्व मंडल मंत्री संतोष थवाईत (चाबू) (पिछड़ा वर्ग) वहीं कुछ लोग इससे हटकर भी अन्य वर्ग से मंडल अध्यक्ष के लिए नाम भी तलाश रहे हैं .







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