कांग्रेस से राजेश और भाजपा से प्रदीप चुनावी दौड़ मे दोनों है कुर्सी के समीप दोनों के लिए यह चुनाव पूर्व की तरह आसान नहीं होगा तु डाल डाल तो मै पात पात वाली कहावत होगी चरितार्थ

  

संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/ अनंत थवाईत 


चांपा नगरपालिका चुनाव मे कांग्रेस और भाजपा से कौन बनेगा उम्मीदवार?यह सवाल लोगों के बीच मे चर्चा बनकर उठ रही है . इस चर्चा के बीच यह चर्चा जोर सोर से चल रही है कि कांग्रेस से पालिकाध्यक्ष के लिए राजेश अग्रवाल और भाजपा से प्रदीप नामदेव का नाम लगभग तय माना जा रहा है . यदि यह चर्चा वास्तविकता मे बदलती है तो मुकाबला बड़ा दिलचस्प होगा .राजेश अग्रवाल और प्रदीप नामदेव दोनों पालिकाध्यक्ष रह चुके है . दोनों को प्रशासनिक अनुभव है .और नगर की जनता के बीच इन दोनों की छबि दलगत राजनीति से हटकर बनी हुई है. राजेश अग्रवाल और प्रदीप नामदेव के व्यक्तिगत संबंध दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के साथ है इसलिए यदि दोनों के बीच मुकाबला होता है तो यह चुनाव बड़ा दिलचस्प हो जाएगा .और एक एक वोट के लिए दोनों को मेहनत करना पड़ेगा. इसके साथ ही बहुत से मतदाताओं के सामने धर्मसंकट भी होगा कि किसको वोट दे और किसको न दे ? पिछले चुनाव मे राजेश अग्रवाल ने "नेता नहीं मित्र चुने" के नारे के साथ पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन होने मे सफलता पाई थी. वहीं राजेश अग्रवाल के पहले प्रदीप नामदेव अपनी सादगी और पार्टी के प्रति समर्पण की भावना से जीत हासिल की थी.लेकिन अब वक्त के साथ साथ परिस्थितियां बदल चुकी है .इस कारण दोनों के लिए चुनाव जितना पहले की तरह आसान नहीं होगा. खैर..जो भी हो लेकिन इतना तय है कि राजेश अग्रवाल और प्रदीप नामदेव मे मुकाबला होता है तो यहां का चुनाव बड़ा दिलचस्प होगा और एक एक वोट की कीमत बढ़ जाएगी. और "तु डाल डाल तो मैं पात पात" वाली कहावत चरितार्थ होते नजर आएंगी .

चुनाव मे प्रत्याशी के व्यक्तित्व के साथ साथ आर्थिक पक्ष को भी देखा जाता है इस लिहाज से यदि तुलना करें तो आर्थिक दृष्टि से राजेश अग्रवाल मजबूत हैं .

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