कथित अवैध रेत खनन, परिवहन, भंडारण के खिलाफ कार्यवाई से आखिर आम लोगों को क्या लाभ ?
संवाद यात्रा /जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ /अनंत थवाईत

इन दिनों जिले मे राजस्व, पुलिस व खनिज विभाग द्वारा संयुक्त रूप से टास्क फोर्स गठित करके अवैध रेत खनन, भंडारण और अवैध ईंट भट्टों पर धुंआधार कार्रवाई की जा रही है .इसका समाचार भी जोर शोर से प्रकाशित, प्रसारित हो रहा है .अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन की कार्रवाई की एक ओर जहां लोग प्रशंसा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लोगों के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि इस कार्यवाई से आखिर आम लोगों को क्या लाभ मिल रहा है ? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि लोगों को अपने घर बनाने के लिए दूरी के हिसाब से जो रेती 500 से 1000 रुपया प्रति ट्रेक्टर मे मिलता था अब वह 2000 रुपया से 3000 रुपया प्रति ट्रेक्टर मे मिल रहा है .इससे गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के बजट पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है.
अवैध ,अवैध,और अवैध के इस शोरगुल के बीच वैध क्या है? प्रशासन द्वारा आम लोगों के हितों को ध्यान मे रखकर रेती का मुल्य निर्धारण क्यों नहीं किया जाता?यह भी एक अहम सवाल है .
दूसरी ओर शासकीय भवनों के निर्माण मे ठेकेदारों द्वारा उपयोग कर रहे रेती ,ईंटे ,गिट्टी आदि की खनिज लायल्टी के संबध मे कभी जांच और कार्यवाई हुई हो इसका उदाहरण भी देखने को नहीं मिलता.






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