भय बिनु प्रीत न होई गोसाई .... आखिर महंत नरोत्तम दास जी ने बजरंगबली मंदिर को यथावत बनाए रखने पर हुए राजी

 

संवाद यात्रा जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ अनंत थवाईत


 चांपा मे वार्ड नं.21 के भागवत मैदान मे स्थापित बजरंगबली के लिए निर्माणाधीन मंदिर को पिछले दिनों कुछ लोगों ने जेसीबी मशीन की मदद से तोड़ दिया था।और बजरंगबली की प्रतिमा को वहां से हटा दिया था। इस घटना से मोहल्ले वासी काफी नाराज़ थे । उन्होंने मंदिर पुनः बनाए जाने की मांग करने लगे। इसी बीच इस मामले को सुलझाने के लिए शासन के अधिकारियों और मोहल्ले के नागरिकों की बैठक भी हुई और पुरे घटनाक्रम को कलेक्टर को जानकारी दिए जाने और उसके बाद निर्णय लिए जाने की सहमति बनी थी । इसी बीच कथित मंदिर तोड़ने वाले तत्वों ने अपनी राजनीति पहुंच का फायदा उठाते हुए मामले को ठंडे बस्ते मे डालने और भागवत स्थल पर ( कथित रूप से डोंगाघघाट मंदिर को दान मे मिली भूमि) मंदिर निर्माण में रोड़ा अटकाने का काम शुरू कर दिया था। इस स्थिति को भांपते हुए मोहल्ले वासियों ने भी अपनी रणनीति बनाई और इस मामले मे पुरे नगर के धर्मप्रेमी लोगों को एकजुट करते हुए मंदिर तोड़ने वालों के ऊपर कानूनी कार्यवाही करने की मांग करते हुए रैली निकाली और चांपा थाना पहुंचकर थानेदार मनीष परिहार को आवेदन दिया ।

आवेदन देने के पूर्व थाना परिसर मे ही महिलाओं ने ढोल मंजीरा के साथ कीर्तन करते हुए विध्वंसकारी तत्वों को सद्बुद्धि प्रदान करने तथा मंदिर का पुनर्निर्माण करने की कामना की । 


थाने मे आवेदन देने के बाद जनसमूह डोंगाघाट मंदिर पहुंचा । और वहां के महंत नरोत्तम दास जी से चर्चा करते हुए बजरंगबली के मंदिर का पुनर्निर्माण करने की अनुमति देने निवेदन किया । 

चर्चा के दौरान महंत नरोत्तम दास जी शुरू मे तो मंदिर निर्माण की अनुमति देने इंकार करते रहे मगर चर्चा जब व्यापक रूप से होने लगी और लोगों ने मंदिर तोड़ने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने तथा मंदिर की भूमि पर वर्षों से काबिज लोगों के खिलाफ अभियान चलाने की चर्चा शुरू की तो महंत नरोत्तम दास जी भागवत मैदान में  बजरंगबली का मंदिर पुनः बनाने सशर्त अनुमति दी।‌

इस घटना क्रम ने रामायण मे लिखित "भय बिनु प्रीत न होई गोसाई" को चरितार्थ कर दिया। उल्लेखनीय है कि डोंगाघाट स्थित हनुमान मंदिर नगर तथा आसपास के लोगों के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र रहा है । चुनावों के दौरान प्रदेश के बड़े बड़े राजनेता यहां आकर अपनी सफलता की कामना करते हैं । बीते विधानसभा सभा चुनाव के दौरान यहां डा.चरणदास महंत ने नब्बे थाल का भोग लगाया था। आस्था का केंद्र होने के कारण इस मंदिर को अनेक लोगों ने भूमि दान किया है । और उसी दान की भूमि पर कुछ रसुखदार लोगों ने मामूली किराया देते हुए वर्षों से अपना कब्जा जमाया हुआ है । 

नगर मे चर्चा है कि डोंगाघाट मंदिर की भूमि पर काबिज लोगों ने ही भागवत मैदान मे निर्माणधीन बजरंगबली मंदिर तोड़ने की घटना को दबाने  तथा पुनः मंदिर न बने इसका भरपूर प्रयास किया लेकिन इस बार धर्मप्रेमी लोगों की एकजुटता के आगे ऐसे तत्वों की एक नहीं चली ।



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