जब पुरूषोत्तम शर्मा ने किया था अर्धनग्न धरना प्रदर्शन..... नगर हित के लिए चलने वाले आंदोलनों मे भी खुब होती है कुटिल राजनीति
संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ /अनंत थवाईत
नगर हित और नगर विकास का नारा देते हुए चांपा मे विभिन्न राजनीतिक सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने अपने अपने ढंग से समय समय पर विभिन्न रुपों में आंदोलन चलाए हैं । लगभग सभी आंदोलनों मे एक ही बात की गूंज सुनाई देती रही है और वह है नगर हित एवं नगर विकास। लेकिन समय समय पर नगरहित मे चलने वाले इन आंदोलनों को असफल करने मे भी यहां के लोग कोई कसर नहीं छोड़ते ।
तीन वर्ष पूर्व भाजपा नेता पुरूषोत्तम शर्मा ने नगर की विभिन्न समस्याओं का निराकरण और अधूरे निर्माण कार्यों को पूरा करने की मांग करते हुए भालेराय मैदान के पास परशुराम चौक मे 21 जूलाई से 22 जूलाई तक चौबीस घंटे का अर्धनग्न धरना दिया था। तब राजेश अग्रवाल नगर पालिका अध्यक्ष थे । कुछ लोगों ने इस आंदोलन को नगरपालिका के खिलाफ बताने मे लगे रहे और अपने अपने ढंग से इस आंदोलन को परिभाषित करते हुए कमजोर करने मे लगे रहे । एक ओर भाजपा संगठन से जुड़े कुछ प्रमुख लोगों ने इस आंदोलन को पुरूषोत्तम शर्मा का व्यक्तिगत आंदोलन बताते हुए पार्टी के लोगों को इस आंदोलन से जोड़ने मे रुचि नहीं दिखाई तो दूसरी ओर कांग्रेस से जुड़े लोगों ने इस आंदोलन को भाजपा नेता का आंदोलन बताते हुए अपने पार्टी के लोगों को इससे दूर रखने का काम किया।
इसी तरह जब तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने गौरव पथ का पुनर्निर्माण कराने को लेकर चक्काजाम आंदोलन करने की घोषणा की तो नगर के लोगों के साथ ही भाजपा से जुड़े लोगों ने दलगत भावना से ऊपर उठकर आंदोलन को समर्थन देने का मन बनाया किन्तु राजेश अग्रवाल द्वारा अपने निजी लेटर पत्र का उपयोग किया तो भाजपा से जुड़े लोगों ने उस आंदोलन से दूरी बना ली थी।
कुछ समय पूर्व कथित रूप एक दो मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेरियर चौक पर सड़क निर्माण की मांग लेकर धरना प्रदर्शन किया तो लोगों का एक वर्ग ऐसा था जो इस आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए इसे पूरे नगर के लोगों का आंदोलन निरुपित करते हुए अपने आपको नेतृत्वकर्ता के रूप मे प्रस्तुत करने लगे थे । दूसरे शब्दों में कहा जाय तो इस आंदोलन को उन्होंने हाईजैक कर लिया और प्रशासन से मिलकर आश्वासन पश्चात आंदोलन को समाप्त कराने मे अपनी भूमिका निभाई।
इसी तरह बिर्रा फाटक ओव्हरब्रीज का शीघ्र निर्माण कराने की मांग लेकर कुछ लोगों ने आंदोलन चलाया तो यह आंदोलन भी केन्द्र सरकार बनाम राज्य सरकार का रूप लेकर भिन्न भिन्न विचारों का भेंट चढ़ गया था ।








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