रावण दहन पर राम भक्तों का देखते बना उत्साह: कीचड़ और दलदल भी रोक नहीं पाए उनकी राह एक ओर कलेक्टर और एसपी ने की भारी भीड़ की सराहना तो दूसरी ओर लोगों ने की प्रशासन की सराहना । एक बड़े स्थल की कमी खली
संवाद यात्रा /जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ /अनंत थवाईत
रावण दहन देखने उमड़ा जनसमूहगत पांच अक्टूबर को नगर के हृदय स्थल पर रावण दहन के साथ दशहरा उत्सव मनाया गया । भालेराव मैदान में आयोजित उक्त दशहरा उत्सव और रावण दहन कार्यक्रम मे जिस तरह लोगों का जन सैलाव उमड़ा उसे देखकर कार्यक्रम मे विशेष रूप से उपस्थित कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा और जिला पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने लोगों के उत्साह की सराहना की ।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में नगर में गठित दशहरा उत्सव समिति द्वारा रावण दहन का कार्यक्रम किया जाता रहा है लेकिन इस बार समिति ने दशहरा उत्सव और रावण दहन कार्यक्रम करने मे असमर्थता जताते हुए नगरपालिका को पत्र लिखा था । इधर कोरोना काल के चलते पिछले दो तीन वर्ष से यह आयोजन नहीं हो पा रहा था ।और इस बार लोगों को उम्मीद थी कि दशहरा उत्सव जोर शोर से मनाया जाएगा लेकिन दशहरा उत्सव समिति ने कार्यक्रम आयोजित करने में असमर्थता जता दी । पूर्व मे कार्यक्रम आयोजित करने वाली समिति द्वारा कार्यक्रम न करने तथा लोगों की भावनाओं को ध्यान मे रखते हुए स्थानीय प्रशासन ने जिला प्रशासन के सामने सारी परिस्थितियों को रखा । और नगर के कुछ विशिष्ट व्यक्तियों के सहयोग से रावण दहन कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया। स्थानीय प्रशासन के अनुरोध पर जिला कलेक्टर तारण सिन्हा एवं जिला पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने समारोह के एक दो दिन पहले भी पुतला दहन स्थल भालेराव मैदान का जायजा लिया और कार्यक्रम के आयोजन मे आवश्यक व्यवस्था को लेकर लोगों से विचार विमर्श किया। इस सार्थक संवाद और लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए रावण दहन कार्यक्रम निर्धारित किया गया।
उधर रावण के पुत्र इंद्रजीत (मेघनाथ) से हारे इंद्रदेव ने लोगों की परीक्षा ली और बारिश से कार्यक्रम स्थल को कीचड़ और दलदल से सराबोर कर दिया। लेकिन जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन एवं जनता की राम भक्ति के आगे इंद्रदेव का यह प्रयास धरा का धरा रह गया।
जब आततायी रावण का वध करने के लिए श्री रामचन्द्र जी ने राह मे आने वाले अनेक बाधाओं को पार किया तो क्या रामभक्त रावण का दहन देखने के लिए थोड़ी सी कीचड़ और दलदल से घबराते और इसके लिए किसी को जिम्मेदार ठहराते? बिल्कुल नहीं.! बल्कि रामभक्तो ने पूरे उत्साह और उमंग के साथ रावण दहन कार्यक्रम मे सहभागिता निभाया और इस आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद भी दिया ।
एक बड़े स्थल की कमी खली...
भालेराव मैदान मे असुविधाओं के बीच भी दशहरा उत्सव मनाने के लिए जिस तरह से जन सैलाव उमड़ा उसको देखकर नगर मे एक व्यवस्थित और बड़े स्थल की कमी सबको खली । एक अनुमान के अनुसार दशहरा उत्सव मनाने के लिए भालेराव मैदान के आसपास मे करीब पच्चीस से तीस हजार लोग जुटे थे । लेकिन सबके लिए उपयुक्त बैठक व्यवस्था करना बहुत मुश्किल था। क्योंकि रावण दहन कार्यक्रम आननफानन मे दो दिन पहले ही तय हुआ था। खैर....
एक अंतराल मे बाद नगर मे हुए इस दशहरा उत्सव के लिए लोग जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की मुक्त कंठ से सराहना कर रहे हैं।








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