व्यक्ति आधारित राजनीति के चलते किसी दल मे स्थापित नही हो पाए अखिलेश कोमल पाण्डेय राजनैतिक सुर्खियों मे बने रहने के बजाय अपनी बहुआयामी व्यक्तित्व को निखारने की दिशा मे कार्य करना चाहिए

 

संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत 


नगरपालिका चुनाव संपन्न होने के बाद चांपा के अखिलेश कोमल पाण्डेय को कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप मे पार्टी से निस्कासित कर दिया .जिसका समाचार पिछले दिनों प्रकाशित भी हुआ था . नगरपालिका चुनाव के बीच ही अखिलेश पाण्डेय भाजपा मे शामिल होने का मन बना लिए थे कुछ भाजपा नेताओं से उनकी बात भी हो गई थी लेकिन चुनाव के बीच मे अखिलेश पाण्डेय भाजपा मे जिस अंदाज से आना चाहते थे वह अंदाज भाजपा के ही कई नेताओं को उचित नहीं लगा और यही कारण था कि चुनाव के बीच अखिलेश पाण्डेय भाजपा मे आते आते बाहर ही रह गए .इधर चुनाव जैसे ही संपन्न हुआ उधर कांग्रेस ने अखिलेश पाण्डेय को पार्टी से बाहर कर दिया. भाजपा के द्वार पर आकर भीतर प्रवेश न मिल पाना और कांग्रेस द्वारा बाहर का रास्ता दिखाने के इस घटनाक्रम से अखिलेश पाण्डेय के उपर क्या बीत रही होगी?ये तो वो ही जाने लेकिन इस घटनाक्रम को देखकर और अखिलेश पाण्डेय के राजनैतिक यात्रा पर नजर डालने से यह बात सामने आती है कि अखिलेश पाण्डेय की प्रवृत्ति व्यक्ति आधारित राजनीति करने की रही है .भाजपा मे थे तो वे राज्य सभा सांसद नंदकुमार साय के प्रतिनिधि बनकर कार्य करते रहे और कांग्रेस मे गए तो चरणदास महंत से व्यक्तिगत संबंध का हवाला देते हुए गए . इसके पहले भी वह दलित राजनीति की चाह मे बसपा मे सक्रिय हुए थे और गिरौधपुरी धाम तक यात्रा भी कर चुके है .पर वहां दलित राजनीति मे भी वे अपना स्थान नहीं बना पाए . समय के हिसाब से और व्यक्ति का गुणगान करते हुए महत्वाकांक्षी भावना से ओत-प्रोत होकर कभी इस दल मे तो कभी उस दल मे जाने से अखिलेश पाण्डेय किसी एक राजनीतिक दल मे स्थापित नही हो पाए .

"विचारधारा की राजनीति करने वाले समाचारों की सुर्खियां बनने का मोह नहीं रखते"

अखिलेश कोमल पाण्डेय का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के विचार धारा पर चलने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने उन्हें निस्कासित किया है .इस कारण वे गरिमामय ढंग से भाजपा मे प्रवेश करना चाहते हैं. उनका यह विचार सामान्य तौर पर तो सही लगता है लेकिन यदि वे वास्तव मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचार धारा पर चलते हैं तो उन्हें समाचारों की सुर्खियों में बने रहने की कोई आवश्यकता नहीं है और वे एक स्वयं सेवक की भांति कार्य करते रहें . उनकी कार्यशैली ही उनके व्यक्तित्व का दर्पण बन जाएगा . राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक कभी भी व्यक्तिगत तौर पर समाचारों की सुर्खियां बनने का मोह नहीं रखते. 


राजनीति से भी जरूरी कई काम है, राजनीति ही सब कुछ नहीं आदमी के लिए...

अखिलेश कोमल पाण्डेय बहुमुखी प्रतिभा के धनी है फिल्म निर्माण से लेकर अभिनय गायन लेखन से भी जुड़े हुए है इस कारण यदि एक फिल्मी गाना की तर्ज पर ही उन्हें हम सलाह दें तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी. एक पुरानी हिन्दी फिल्म के गाने की एक पंक्ति है, "प्यार से भी जरूरी कई काम है प्यार सब कुछ नहीं आदमी के लिए" 

ठीक इसी तरह अखिलेश पाण्डेय को समझना होगा कि "राजनीति से भी जरूरी कई काम है राजनीति ही सब कुछ नहीं आदमी के लिए." अखिलेश पाण्डेय के लिए हम ऐसा इसलिए कह रहे कि एक बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति तो है ही साथ ही उनके सामने उनके स्व.पिता कोमल पाण्डेय जी का प्रेरक कार्यशैली भी है. अखिलेश पाण्डेय को अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए नगर की सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक ,धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करने वाले सेवा कार्य को पूरी निष्ठा से करना चाहिए.स्व कोमल पाण्डेय जी हमेशा नगर का वैभव बढ़ाने एवं ऐतिहासिक परंपरा को जीवंत बनाए रखने की दिशा मे कार्य करते रहे हैं. गौशाला बाजार,कांवर यात्रा , अन्नकूट महोत्सव, नाग लीला, साप्ताहिक हाट-बाजार,केराझरिया हनुमान धारा, मदनपुर गढ़ को पर्यटन क्षेत्र के रूप मे विकसित करने जैसे उनके प्रयास अनुकरणीय रहें हैं .

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