कांग्रेस द्वारा कारण बताओ नोटिस के जवाब में अखिलेश पाण्डेय द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंध होने का हवाला देते हुए तथा भाजपा जिलाध्यक्ष अंबेश जांगड़े एवं मंडल अध्यक्ष संतोष थवाईत के नामों का उल्लेख करते हुए जवाब देना और उसी दिन कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रति प्रतिबद्धता रखने के आरोप मे अखिलेश पाण्डेय को कांग्रेस द्वारा निष्कासित करना आखिर यह कैसी राजनीति है ? अखिलेश पाण्डेय ने भाजपा मे शामिल होने आवेदन नहीं दिया फिर भाजपा प्रवेश की चर्चा क्यों?
संवाद यात्रा /जांजगीर-चांपा/ छत्तीसगढ़ /अनंत थवाईत
डा.चरणदास महंत के करीबी अखिलेश पाण्डेय को कांग्रेस द्वारा निस्कासित किए जाने एवं अखिलेश पाण्डेय के पुनः भाजपा प्रवेश करने या फिर कराने की कोशिश किया जाना इन दिनों नगर मे चर्चा का विषय बना हुआ है.
कांग्रेस द्वारा 19 फरवरी को अखिलेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस देना और 21 फरवरी को अखिलेश पाण्डेय द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से अपना संबंध बताते हुए तथा भाजपा जिलाध्यक्ष अंबेश जांगड़े तथा मंडल अध्यक्ष संतोष थवाईत के नामों का उल्लेख करते हुए जवाब देना ,और उसी दिन यानि 21 फरवरी को ही कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रति उदारता और प्रतिबद्धता का आरोप लगाते हुए अखिलेश पाण्डेय को 6 वर्ष के लिए निस्कासित किया जाना सहज रूप से यह सवाल बना है कि यह आखिर यह कैसी राजनीति है ?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि आमतौर पर कांग्रेस हो या फिर भाजपा जब अपने सदस्यों को निस्कासित करती है तो केवल पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगा कर निस्कासित करती है .पर यहां तो सवाल जवाब को देखकर ऐसा लगता है कि कांग्रेस अखिलेश पाण्डेय को संघ एवं भाजपा से जुड़े होने का प्रमाण पत्र दे रहा है .
उल्लेखनीय है कि अखिलेश पाण्डेय ने जब भाजपा को छोड़ा तो बकायदा लिखित पत्र देकर भाजपा को छोड़ा और कांग्रेस मे शामिल हुए ,उसका समाचार भी प्रकाशित हुआ था . लेकिन अब जब अखिलेश पाण्डेय पुनः भाजपा मे आना चाहते है तो उन्होंने भाजपा मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष को अभी तक लिखित मे आवेदन क्यों नहीं दिया?
कारण बताओ नोटिस के जवाब मे अखिलेश पाण्डेय द्वारा कांग्रेस को लिखे पत्र मे बहुत सी ऐसी बातें है जिसको पढ़ कर लोग अपने अपने तरीके से परिभाषित कर सकते है और पूरे घटनाक्रम पर अपनी धारणा बना सकते है इसलिए हम यहां अखिलेश पाण्डेय के पत्र को भी सुधी पाठकों के समक्ष रख रहे हैं . ताकि लोग अखिलेश पाण्डेय के पक्ष को विस्तार से जान सके .










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