प्रतिमाएं बोल रही है ,भेद खोल रही है : तस्वीर एक नजरिया दो
संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत
पुलिस थाना और बापू बालोद्यान के अहाते से लगे प्रतिमा को नगर पालिका परिषद चांपा द्वारा नगर की पहचान के प्रतिबिंब के रूप मे स्थापित किया गया है ।
नगर मे पारंपरिक रुप से कोसा कपड़ा निर्माण,कांसे के बर्तन निर्माण और सोने के गहने निर्माण एवं व्यवसाय को देखकर चांपा को कोसा कांसा और कंचन की नगरी कहा जाता है ।
तीनों व्यवसायों की लोकप्रियता और पहिचान को ध्यान मे रखते हुए ही नगरपालिका परिषद द्वारा कोसा कपड़ा बुनाई करते बुनकर ,सोने की गहना बनाते सुनार और कांसा का बर्तन बनाते कसेर कारीगरों की प्रतिमाएं स्थापित की गई है । इन प्रतिमाओं को पहले नजरिए से देखा जाए तो हम कह सकते है कि ये प्रतिमाएं चांपा की विशेषता को प्रदर्शित कर रही है । वहीं दूसरे नजरिए से देखा जाए तो इन प्रतिमाओं के फीके पड़ते रंग तीनों व्यवसायों के कारीगरों की व्यथा उजागर कर रही है । जब से कोसे कपड़े के निर्माण मे पावर लूम का उपयोग होने लगा है तब से पारंपरिक रुप से कपड़ा बुनाई करने वाले बुनकरों की हालत बिगड़ी हुई है । उसी तरह फैंसी डिजाइन के गहनों के कारण पारंपरिक रूप से सोने के गहने निर्माण करने वाले सुनारों ( कारीगरों) के हालात अच्छे नहीं है। ठीक इसी प्रकार स्टील के बर्तनों के चलन से कांसा के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के सामने भी जीवन यापन की समस्या बनी हुई है।
प्रतिमाओं के फीके पड़ते रंग इसी बात को बयां कर रही है। इसीलिए यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि प्रतिमाएं बोल रही है ,भेद खोल रही है ।







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