चांपा के बंधवा तरिया म पहुना चिरई (प्रवासी पक्षी) मनखे के मन ल मोहत हे

 संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत

बरसात के मऊसम के बाद जब जाड़ के मऊसम आथे त चांपा के बंधवा तरिया ( रामबांधा तालाब ) म दुरिहा दुरिहा ले किसिम किसिम के चिरई चुरगुन मन पहुना बरोबर आथे आऊ गरमी के मऊसम आथे त अपन ठिकाना कोति फेर लहुट जाथे। 

आज-कल बंधवा तरिया के बीच म कमल फुल, खोखमा फुल के पान पतइ कांदी चिला घास पुस म झुंड के झुंड ये पहुना चिरई ( प्रवासी पक्षी) मन बसेरा बनाय हावय बिहनिहा बिहनिहा के बेरा में ये चिरई चुरगुन मन के चिं चिं करत चहचहाना आऊ येति ले ओति फुदक फुदक के एक दुसर के संग आपस म खेल करइ हर मनखे के मन ल मोहत हे। 

बिहनिहा बिहनिहा के बेरा म बंधवा तरिया के चारों मुड़ा ल देख के अइसे लगते जइसे हिरदे के अंतस हर परकीरिति के सुग्घर दरसन करत गोठ बात करत हे। बंधवा तरिया म बने विवेकानंद उद्यान (आईलैंड) के रुख राई, हवा के संग तरिया के पानी म छोटे छोटे लहरा, तरिया पार म बने मंदिर ले बाजत घंटी के झनकार, लाउडस्पीकर म बाजत भक्ति गीत, अलग-अलग घाट घठौंधा म नहावत मनखे, तरिया पार के बड़का बड़का बर पीपर के रुख,तरिया के पार म बने सड़क म आवत जावत मनखे, ये सब ल देखके मन हर खुशी से झुमर उठथे।

वइसे भी हमर चांपा के बंधवा तरिया हर लेखक साहित्यकार गीतकार मन ल सदा अपन सुघरई ले मोहत आय हे जेकर सेति समय समय ओमन अपन कलम ले बंधवा तरिया के सुघरई ल लिखत आय हे। मोर जनम हर ये बंधवा तरिया के पार म बने पुरखौती घर म होवय हावय।नानपन ले युवा अवस्था म आत आत मैं ये बंधवा तरिया के बनत बिगड़त स्वरूप ल लकठा ले देखे हांव आऊ थोर बहुत लिखे भी हांवव।

कभू सौ एकड़ म फइले ये बंधवा तरिया म हजारों के संख्या म किसिम किसिम के पहुना चिरई( प्रवासी पक्षी) जाड़ के मऊसम म आवत रहिन आऊ जाड़ खतम होय के बाद गरमी के मऊसम म अपन अपन ठिकाना कोति उड़ाके चल देत रहिन। वो बखत कई शिकारी मन भी ये चिरई मन के शिकार करे बर तरिया तीर म डेरा जमाय रहय। 

बंधवा तरिया के पार म बस स्टैंड, आऊ सड़क के निरमान होइस त ये पहुना चिरई मन के आना जाना कुछ बछर ले बंद रहिस लेकिन अब धीरे धीरे फेर ये चिरई मन आय बर शुरू करे हावय।

https://samvaadyatra.blogspot.com/2021/07/blog-post_43.html


अनंत थवाईत


 


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