रहिए जरा संभल के.... सर्द मौसम की कविता : सुमन लता यादव
सर्द मौसम का अपना एक अलग ही आनंद है । कभी धूप मे बैठे तो कभी अलाव की गर्माहट लेते कांपते हाथों मे चाय की कप, प्याली थामे ,कभी घर की छत या बालकनी में बाहर कोहरे की धुंध का खुबसूरत नजारा हर किसी को बहुत भाता है । दिसंबर के इस सर्द मौसम पर लोगों को अपना ख्याल रखने का संदेश देते हुए ठंड का एहसास कराते हुए शिक्षिका सुमन लता यादव ने अपनी कविता प्रेषित की है जिसे हम अपने पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत कर रहे हैं.....
संवाद यात्रा /जांजगीर-चांपा / छत्तीसगढ़ अनंत थवाईत
रहिए जरा संभल के...
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आया महीना दिसम्बर का
रहिए जरा संभल के
ठंड है कड़ाके की
अपना पूरा ख्याल रखिये
सर्द हवाओं के झोकों से
रहिए संभल संभल के
कही जम न जाएं
आप इस ठंडी में
बर्फ की तरह
आप सभी गर्म चाय की
चुस्कियों का मज़ा लीजिये
वैसे तो इस ठंड़ी मे
चाय भी अपना रंग दिखाने लगी
केतली से हाथों में आने तक
पूरी ठंडी हो जाने लगी
माह है हेमन्त का
"सुमन" भी है ठंड में सिकुड़ी हुई
प्रकृति भी अपना सर्द रंग
बिखराने लगी है
इस प्रकृति की ठंडी में
दिन चढ़ते ही आप सभी
सूरज से प्रेम दिखाइए
ढले शाम जैसे ही तो
अलाव के पास आइए
ठंड है पुरे जोरो पर
अपना और अपनों का भी
पूरा ख्याल रखिये
ठंड है कड़ाके की
अपना पूरा ख्याल रखिये
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सुमन लता यादव (व्याख्याता )पामगढ़
जिला जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़






सुन्दर वर्णन सरदी की ऋतु का । 👌👌👍
जवाब देंहटाएंसर्दी के मौसम में ,,,,ऋतु वर्डन की तारीफ, इन चन्द सब्दो में पूरा मौसम झोंक दिया,,,,काबिले तारीफ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है। 🌹🌹🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंटिप्पणी लिख कर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले सभी पाठकों का आभार.....
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏