"गुरु महिमा" आलेख --राजेन्द्र जायसवाल राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक
संवाद यात्रा जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ अनंत थवाईत
आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर टाउन पूर्व माध्यमिक शाला के शिक्षक (राज्यपाल से सम्मानित) राजेन्द्र जायसवाल जी ने एक आलेख भेजा है जिसे हम पाठकों के समक्ष ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर रहें है...
गुरु ब्रह्मा: गुरुर्विष्णु गुरुदेवो महेश्वर:
गुरु साक्षात परमब्रम्ह: तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरु की महिमा अनंत और अपार है गुरु की कृपा के बिना ना तो मानव का कल्याण हो सकता और नाम बुद्धि सन्मार्ग की ओर प्रेरित हो सकती है इसलिए संत कबीर दास जी ने गुरु को गोविंद अर्थात ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना है उन्होंने कहा है
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताए।।
संत कबीर ने ही गुरु की अनंत महिमा का बखान कुछ इस तरह से किया है
गुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघड़िया अनंत दिखावनहार।।
गुरु की तुलना एक कुम्हार से की जा सकती है जिस प्रकार कच्ची मिट्टी से मनचाहा आकार देकर उसे पूर्णता प्रदान करता है उसी प्रकार गुरु भी बाल मन को उच्च संस्कारों और व्यवहारिक ज्ञान कला कौशल के ढांचे में डालकर एक श्रेष्ठ नागरिक बनाने में सहायक सिद्ध होता है उदाहरण से लेकर महानतम व्यक्तियों तक की रिति करें तो यही सत्य को उभरकर आता है कि गुरु रूपी पारसमणि ने लोहे जैसे शिष्य को स्पर्श मात्र से सोना बना दिया है। अरस्तू जैसे गुरु के आर्शीवाद से ही सिकंदर विश्व विजेता बना, चाणक्य जैसे गुरु के प्रसाद से चंद्रगुप्त जैसे व्यक्ति का निर्माण हुआ गुरु की महिमा से यह राम व कृष्ण ने अमिट इतिहास रचे गुरु के आर्शीवाद से ही शिवाजी महाराज इतने बड़े मुगल साम्राज्य को नाकों चने चबवाते रहे गुरु गोविंद सिंह की एक ललकार से ही हजारों से
साए लोगों में प्राण फूंक दिए थे और गुरु के प्रताप से ही सूरदास ने अकबर जैसे सम्राट के निमंत्रण को यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि- मोको कहां सीकरी सो काय?...
गुरु एक व्यक्ति विशेष न होकर समग्र क्रांति है चेतना है ,श्रद्धा है ,विश्वास है, और समग्रता का निर्माण और इस दृष्टि से हम सभी भारतवासी सौभाग्यशाली हैं क्योंकि इस समय समय पर हमारे देश में दिव्य शक्तियों से संपन्न गुरुओं का अवतरण होता रहा है जिन्होंने न केवल भारत को ही अपितु संपूर्ण संसार को ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित किया है उसे अचंभित किया है भारत को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने में श्रेष्ठ गुरुओं का योगदान रहा है।
गुरु अप्रत्यक्ष रूप से देश के भविष्य निर्माता हैं अगर निर्माण करने वाली नींव मजबूत न रहे तो देश की मजबूती पर प्रश्न चिह्न लग सकता है।
"हम क्या थे ?क्या हैं? और क्या होंगे अभी?
आओ मिलकर के विचार करें ये समस्याएं सभी।।"
हमारा अतीत श्रेष्ठ गुणों के कारण गौरव से पूर्ण था वर्तमान का चित्र हमारे सामने हैं और भविष्य की उज्जवल व मंगल कामना के लिए हमें फिर से गुरुओं की और देखना होगा। हमें फिर से गुरुओं का सम्मान करना सीखना होगा। किसी विद्वान ने कहा-
संस्कार की सारी चकाचौंध सच्चे गुरु और उसकी ज्ञान की सचम के समक्ष फीकी है।
अगर शिष्यों को सच्चे गुरु की प्राप्ति हो जाए तो फिर उनके पद प्रदर्शन में चलकर उन्हें श्रेष्ठ बनने से कोई नहीं रोक सकता बस सवाल गुरु के प्रति श्रद्धा व अपने कर्तव्य भावना का है। सचमुच गुरु की महिमा अनंत है उनके वर्णन का क्या कहें।*
जिस तरह गागर में सागर भरा जाता नहीं।
गुरु महिमा का बखान शब्दों में समाता नहीं।।
----- राजेन्द्र जायसवाल
राज्यपाल से सम्मानित शिक्षक चांपा







बहुत ही शानदार प्रकाशित बहुत बहुत आभार
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