मानव अधिकार 10 दिसम्बर विशेष आलेख: श्रीमती शांति थवाईत

10 दिसम्बर 1948 संपूर्ण मानव जाति के लिए एक सुनहरा दिन ।जब इस दिन मानव अधिकार आयोग का गठन संयुक्त राष्ट्र संघ के द्दारा किया गया ।तब से प्रतिदिन 10 दिसम्बर को मानव अधिकार दिवस मनाते है ।

  आइए जानते है अधिकार क्या है? प्रोफेसर लास्की का कथन है कि अधिकार मानव जीवन की  वे परिस्थितियाँ है जिसका  उपयोग करके मानव के अस्तित्व का विकास होता है ‌।लास्की के इस कथन से मै पूरी तरह से सहमत हूं ।अधिकार मिलने से मानव के व्यक्ति तत्व का विकास स्वाभाविक रुप से होता है ।अधिकार के अनेको प्रकार है जिस पर मुख्य रुप से सामाजिक कानूनी  आर्थिक राजनीतिक सांस्‍कृतिक धार्मिक अधिकार आते है ।इन अधिकारो का उपयोग करके मानव प्रत्येक क्षेत्र मे अपना विकास करता है ।

   मानव अधिकार को विश्व व्यापी बनाने के लिए संपूर्ण विश्व की जनता को यह अधिकार दिए गये है !  द्दित्तीय विश्व युद्द मे जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर एटम बम गिराया तो दोनो शहर पूरी तरह से तबाह हो गये ।मानवता मर गयी ।इस घटना के बाद जापान ने आत्म समर्पण कर दिया और द्वितीय विश्व युद्द समाप्त हो गया।इस युद्द व इसके परिणाम ने संपूर्ण मानव जाति को हिलाकर रख दिया और ऐसे संगठन बनाने  की आवश्यकता पर ध्यान दिया गया।और  2 4 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गयी ।जिसका मुख्य उद्देश्य अंर्तराष्टीय स्तर मे शांति स्थापित करना ,मानव जाति के कल्याण के लिए काम करना था ।और इसी उद्देश्य के लिए मानव को अधिकार देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन  स्थापित करने की घोषणा की गयी ।मानव अधिकार को मजबूती प्रदान करते  हुए यह संगठन  विभिन्र देशो  मे राष्ट्रीय मानव अधिकार के रुप मे कार्यरत है ।


भारत मे यह   संगठन मुख्य रुप से महिलाओ को प्रत्येक क्षेत्र मे अधिकार दिलाने ,बाल श्रमिको को रोकने, मजदूरो की दशा सुधारने ,राजनीति मे महिलाओ को बराबर का अधिकार दिलाने,सामाजिक क्षेत्रो मे चली आ रही कुप्रथा जिसमे जाति प्रथा,छुआछुत का भेदभाव आदि को रोकने ,महिला उत्पीडन को रोकने दहेज प्रथा को रोकने ,आदि के दिशा मे काम करती है ।

   हमारे देश के संविधान मे संविधान निर्माण के समय ही मौलिक अधिकारो के रुप मे मानव अधिकार को नागरिको को प्रदान किया गया है जिसमे समानता का अधिकार _जिसके तहत स्त्री पुरुष मे समानता जातियो मे समानता,धर्म मे समानता आदि आते है ।स्वतंत्रता का अधिकार जिसमे मुख्य रुप से देश मे कही भी भ्रमण करने निवास करने की स्वतंत्रता  व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता अपने अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता आती है ।धार्मिक स्वतंत्रता मे अपने अनुसार कोइ भी धर्म मानने,प्रचार प्रसार करने पूजा पाठ करने का अधिकार प्राप्त है ।शोषण के विरुद्द अधिकार मे कोइ किसी का शोषण नही कर सकता जिसमे बाल श्रम का निषेध बेगारी निषेध आदि आता है संस्कृति व शिक्षा संबंधी अधिकार जिसमे हमे अपनी संस्कृति मानने का अधिकार व अपने रुचि अनुरुप शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है ।अंतिम अधिकार संवैधानिक उपचारो का अधिकार जिसमे बंदी प्रत्यक्षीकरण उत्प्रेक्षण लेख ,प्रतिषेध लेख अधिकार पृष्छा लेख आदि आते है जो हमे कानूनी अधिकार प्रदान करते है और इन अधिकारो का उपयोग करके हम अपने  व्यक्ति त्तव का विकास कर सकते है ।

     मानव अधिकार की दिशा मे किया गया कार्य काफी नही है ।अभी भी विश्व मे संपूर्ण मानव जाति को अधिकार दिलाना जरुरी है ।यद्दो के दौरान होने वाले परिणाम से मानव अधिकारो का अवरुद्द होना स्वाभाविक है ।विश्व मे कुछ देश ऐसे है जहां के शासक अपने देश मे आज भी पितृसत्तात्मक परिवार पर बल देता है ।महिलाओ की स्थिति दोयम दर्जे की है ,तो कुछ देशो मे मजदूरो की स्थिति चिंता जनक है ।जब तक मानव अधिकार आयोग चाहे वो अंर्तराष्टीय हो या राष्ट्रीय जब तक विश्व के संपूर्ण मानव जाति के उत्थान की दिशा मे काम नही होगा उनकी सफलता व स्थापना का उद्देश्य अधूरा ही होगा ,पूरी तरह सफल नही कहलाएगा ।

मानव मानव एक समान 

    सभी इंसान ले यह जान 

         सबमे हो भाई चारा

          यह मानव अधिकार   

                  आयोग का नारा 

 


                श्रीमती शांति थवाईत व्याख्याता

                     शा उ मा वि कुरदा चांपा

टिप्पणियाँ

Popular Posts

सुबह हो या शाम ,हर क्षण आनंदित करता है आनंदम धाम यहां होती है वृंदावन के निधिवन की दिव्य अनुभूति आनंदम धाम रिसोर्ट मे है सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज का आश्रम