पति के निधन का सदमा बर्दाश्त नही कर सकी मां श्रीमती सुनंदा वाघ बेटे का फर्ज निभाकर बेटियों ने आदर्श एवं अनोखी मिसाल कायम की। पिता के बाद अब माता जी के अर्थी को दिया कंधा। जिला शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाली बेटी कुमुदिनी द्विवेदी ने संभाली मां की चिता को मुखाग्नि का कार्य। चंद दिनों में ही सर से उठ गया मां पिताजी का साया। दामाद डा अभिषेक, रविन्द्र द्विवेदी तथा सुनील वनकर ने भी निभाया पुत्र धर्म।

 संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/ अनंत थवाईत 


 अभी कुछ दिन पहले ही, श्रीमती कुमुदिनी वाघ द्विवेदी एवं बहनों ने मिलकर पहले वृद्ध, बीमार पिता की सेवा करते हुए पितृधर्म का निर्वहन करते हुए  पिताजी की अर्थी को ना सिर्फ कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार का रस्म भी पूरा किया था !

और अब  दिवंगत पिताजी का कार्यक्रम 15 दिन भी पुरा नही हुआ था कि मां श्रीमती सुनंदा वाघ अपने पति के निधन से अलग होने कि सदमा बर्दाश्त नही कर पायी और साथ जीना, साथ मरना की बातें को सच ठहराते हुए 01दिसम्बर2022 को दुनिया से अलविदा होकर अपने पति से मिलने पहुंच गई। पिता की तरह पुनः एक बार फिर से तीनों बेटियों ने मिलकर अपनी ममतामयी दिवंगत मां जी के अर्थी को कंधा देकर अश्रुपूरित नेत्रों से मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार का रस्म पूरा किया।

 जिले में एक होनहार बेटी श्रीमती कुमुदिनी वाघ द्विवेदी के पहल पर बेटे का धर्म निभाकर तीनों बेटियों एवं नातियों ने दिवंगत पिता की तरह ही अपने मां जी/नानीजी का अंतिम संस्कार कर एक बहुत बड़ा संदेश दिया है। तीनों बेटियों ने भाई ना होने पर अन्य बेटियों के समक्ष भी मिसाल पेश की है कि चाहे बेटें हो या बेटियां संतान  में कोई फर्क नहीं होता है।

 79वर्ष आयु में हार्टअटैक के चलते मां जी का दुखद निधन हो गया हैं। जिनका अंतिम संस्कार जबलपुर मध्यप्रदेश में उनके बड़ी पुत्री  प्रोफेसर डॉ विजया अभिषेक कोष्टा के यहां से किया गया।  जिसमें उनके नाती नातिन अरांचा,अदिति दिव्यम,शिवम, सुपुत्री डा विजया अभिषेक कोष्टा, श्रीमती कुमुदिनी रविन्द्र द्विवेदी, ज्योति सुनील वनकर एवं स्वजनों ने अंतिम संस्कार की समस्त क्रियायों को पूर्ण कराने में सहयोग प्रदान किया।

बीमार एवं वृद्ध माता पिता की तीनों बहनों ने हमेशा मनोभाव से सेवा की थी, पिताजी के निधन के बाद बड़ी पुत्री डॉ विजया अभिषेक कोष्टा ने मां जी को जबलपुर में अपने घर पर रखकर सेवा की।बेटियों के अद्भुत सेवा कार्य, माता-पिता के अर्थी को कंधा देकर अंतिम  संस्कार करने की अनोखे पहल को सभी परिवार सहित, शिक्षित समाज, एवं अंतिम संस्कार कार्यक्रम में शामिल लोगों ने सराहा है।

अंतिम संस्कार कार्यक्रम के पश्चात प्रार्थना व श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जिसमें सभी रिश्तेदारों सहित पारिवारिक, सामाजिक एवं कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के द्वारा  मृतक की आत्मा की चिर शांति के लिए एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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