"बात करने से ही बात बनती है। बात ना करने से, बातें बनती हैं" : संवादहीनता से वैयक्तिक , सामाजिक तथा राष्ट्र-हित की क्षति होती है -------- महेश राठौर "मलय"

संवाद यात्रा/जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/अनंत थवाईत


संवाद यात्रा न्यूज पोर्टल को अपनी शुभकामनाएं देते हुए क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार महेश राठौर "मलय" ने "संवाद यात्रा" शीर्षक को बड़े सुंदर शब्दों से परिभाषित करते हुए कहा कि "बात करने से ही बात बनती है । बात ना करने से बातें बनती हैं।"

यह कथन बहुत-ही अर्थपूर्ण है। वास्तव में किसी मसले के समाधान के लिए बातों का होना आवश्यक है। बातों का होना से तात्पर्य है पारस्परिक संवाद। अगर किसी समस्या-विशेष पर संवाद न हो, तो बात नहीं बनती। हॉं, मौनालाप से लोगों द्वारा चटखारे लेने वाली अफवाह-भरी बातें जरूर बन जाती हैं। संवाद के बिना जड़ता आती है; दुर्भावनाऍं, द्वेष और थोथा अभिमान पनपता है।  जीवन में सम्यक संवाद का होना आवश्यक है। फिर चाहे लोगों से संवाद हो, प्रकृति से संवाद या आत्मसंवाद हो। आज का दौर असहिष्णुता, अनुदारता और अभिमानमय है, और ये सभी भाव संवादहीनता को जन्म देते हैं। संवादहीनता से वैयक्तिक, सामाजिक तथा राष्ट्र-हित की क्षति होती है। व्यक्तिगत् वैमनस्य, पारिवारिक कलह, राष्ट्रीय एवं वैश्विक समस्यायें संवादों के माध्यम से ही सुलझती हैं। हताशाओं से उपजी न जाने कितनी आत्महत्याऍं संवाद-विमुखता के कारण ही होती हैं।

 महेश राठौर ने आगे कहा कि संवादों की महत्ता को दृष्टिगत् रखते हुए  'संवाद-यात्रा' नाम से न्यूज पोर्टल की शुरुआत की गई है। इस पोर्टल के माध्यम से  समाचार और विचार के संग छत्तीसगढ़ी भाषा का मान सम्मान बढ़ाने की दिशा मे भी अपनी यात्रा जारी रखें । हमें आशा है, सुधीजनों के सहयोग से यह "संवाद यात्रा" सर्वहित में उपादेय और प्रयोज्य सिद्ध हो सकेगा।

टिप्पणियाँ

  1. संवाद का बहुत ही सुंदर और शानदार व्याख्या किया है भाई आपने ... आज हम संवाद के बगैर अपने अपनों से दूर होते जा रहे हैं , अतः सही सामंजस्य बनाए रखने के लिए हमें हमेशा आपस में संवाद बनाए रखनी चाहिए

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    1. प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार..
      आपकी यह प्रतिक्रिया भी संवाद यात्रा के नाम को सार्थकता प्रदान करने वाला है।
      🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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