या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता••• गौरी-शंकर का भक्ति-भाव से पूजन-अर्चन करने के बाद विसर्जन किया गया। शशिभूषण सोनी की कलम से....
गौरी और शिवजी करेंगे सबका कल्याण,
गौरी हैं माँ और शिव मुक्ति का हैं धाम!
इनकी कृपा से हो हर मुश्किल आसान,
महिमा गाओ गौरी माँ की,करो शिव का ध्यान!!
संवाद यात्रा के लिए शशिभूषण सोनी की खास खबर
मांँ-दुर्गा महाशक्ति हैं । शास्त्रीय परंपरा में उन्हें शिव की महाशक्ति बताया गया हैं। वास्तव में शिव एक सशक्त लोक देवता हैं,इसीलिए शिव की शक्तियों में लोक शक्ति निहित हैं।पुराणों में इन शक्तियों को उनके गुणों के आधार पर विभिन्न नामों से पुकारा जाता हैं यथा-गौरी, पार्वती,उमा, जगदम्बा, अन्नपूर्णा,चंडी, सर्व मंगला, समलेश्वरी, महामाया, भवानी, एवं दुर्गा आदि-आदि।
शक्ति का प्रारंभिक रुप शिव और उनकी अर्धांगिनी गौरी का ही विकसित तांत्रिक रुप हैं। आज़ सर्वत्र देव मंडल में विष्णु और शिव को छोड़कर दुर्गा की ही महिमा गाई जा रही हैं। एक ओर जहांँ श्रद्धालु भक्त माँ के दर्शन करने मंँदिरों में जाकर परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं,वहीं दूसरी ओर गली-मुहल्लों में लोग भक्ति-भाव से मांँ गौरी की विधि-विधान से पूजा कर रहे हैैं। नवरात्रि के पावन पर्व पर छत्तीसगढ़ और संबलपुर [उड़ीसा] के स्वर्णकार समाज की महिलाओं ने भक्ति-भाव से ग़ौरी रानी {मांँ पार्वती, गणेशजी और भगवान शिवजी } की प्रतिमा बैंठाकर आठ दिनों तक विधिवत पूजा-अर्चना की फिर नदी या तालाब में मूर्तियों को उत्साहपूर्वक नाचते-गाते हुए विसर्जित की। इस दौरान सोनार-मुहल्लें के साथ-साथ अन्य मुहल्लों की महिलाएंँ भी दर्शन-पूजन के लिए पहुँच रही थी। अष्टमी-नवमीं के पावन पर्व पर शिव-परिवार की मूर्तियों का विसर्जन गाजे-बाजे के साथ नगर भ्रमण कराते-कराते हुए किया गया।
पूर्व पार्षद एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती शशिप्रभा सोनी ने बताया कि नवरात्रि में महिलाओं के व्दारा सुबह-शाम मांँ गौरी-शंकर की मूर्ति की प्रतिस्थापित कर आठ दिनों तक पूजन-अर्चना करने के बाद और अष्ठमी को हसदेव सरिता में विसर्जन करना मांँ के प्रति श्रध्दा भक्ति को दर्शाता हैं । नवरात्र पर्व में शिव-गौरी की भक्ति का अर्थ अपने आप को ईश्वरीय भक्ति के पथ पर आत्मसात् करना हैं। सर्वस्व समर्पण ही भक्ति और ज्ञान तक पहुंचाने का मार्ग हैं। श्रद्धा भक्ति और शक्ति स्वरुपा मां जगदम्बा की असीम कृपा से जनसामान्य अपरिमित शक्ति प्राप्त करती हैं। ईश्वर के प्रति मेरी प्रगाढ़ आस्था हैं। भगवान शिव-गौरी की उपासक हूं। नवरात्र पर्व में ही मां समलेश्वरी की प्रतिमा के आगे दंडवत प्रणाम करती हू। सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें मां अवश्य पूरा करती हैं।
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