गांधी जी के विचारों को व्यवहारों मे उतारने की आवश्यकता : आलेख : श्रीमती शांति थवाईत "गांधी जयंती विशेष "

आज 2 अक्टूबर को गांधी जी की जयंती पर सारा देश देशवासी उन्हे याद कर रहा है । अनेकों जगह कार्यक्रम हो रहे है ।माननीय नरेन्द्र मोदी जी स्वच्छ भारत अभियान को आगे ले जा रहे है ।बहुत विरले महापुरुष होते है ,जो सबके सदैव दिलों मे रहते है । गांधी जी निर्विवाद रुप से जन जन के नेता है ।

   2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर( गुजरात) मे हुआ था  । पुतली बाई  व करमचंद गांधी इनको पुत्र रुप मे पाकर धन्य हो गये ।पिताजी दीवान थे ।उन्होने गांधी जी को पढ़ाने के लिए विदेश भेजा ।वकालत की पढ़ाई कर विदेश से वापस आए, पर उनका मन वकालत मे नही लगा ।पहले केस की सुनवाई मे वो पैरवी नही कर पाए ।किस्मत को कुछ और मंजूर था ।उन्हे तो युग पुरोधा जो बनना था ।

     गांधी  जी दक्षिण अफ्रीका गये ।जब वे द्वितीय श्रेणी के रेल डिब्बे मे यात्रा कर रहे थे तो एक अंग्रेज जैसे ही वो डिब्बे मे चढ़ा ,गांधीजी को देखकर चिढ़ गये ।अगले स्टेशन मे उनका सामान फेंक दिया गया और उनको भी गाली देते हुए उतार दिया गया ।गांधी जी का मन इस घटना से बहुत आहत हुआ ।रात भर वही खड़े रहे ।लेकिन उनके मन मे दृढ़ निश्चय करना भी यही से आया ।और वो दृढ़ निश्चयी बन कर अंग्रेजॊ स इस अपमान का बदला लेने की ठान लिया।और उनकी गुलामी से देश को मुक्त करवाने का संकल्प लिया।

 गांधी जी पर एक बार अंग्रेज सरकार ने राजद्रोह का मुकदमा चलाया ।अहमदाबाद की अदालत मे सुनवाई होनी थी। नाम गांव साथ मे जाति पूछा गया उन्होने जाति पर कहा कि किसानी व जुलाहागिरी । यह जवाब सुन कर न्यायाधीश भी सन्न रह गया।गांधी जी जाति प्रथा मे विश्वास नही रखते थे ।वे कर्मयोगी थे ।गांधी जी की मां पुतली बाई धार्मिक प्रवृति की थी ।व्रत करना गांधी जी ने उन्ही से सिखा ।पत्नी कस्तूरबा एक आदर्श नारी थी दिखावा उनको पसंद नही था। कदम से कदम मिलाकर अंतिम समय तक साथ देती रही ।गांधीजी को सच्चाई पसंद थी ।राजा हरिश्चंद्र व प्रहलाद से वो काफी प्रभावित थे।

 गांधी हर सोमवार मौन व्रत रखते थे।यदि जरुरी हुआ तो लिख कर काम चलाते थे ।गांधी नौकरो से काम न करवाकर स्वयं काम करते थे।गांधी जी पोशाक केवल धोती व अंगरखा ही था ।हालाकि पहले वो सूट बूट मे रहते थे ।लेकिन बाद मे उन्होंने भारतीयो की पोशाक को लेकर अंग्रेजो के द्वारा किए गये अपमान के विरोध स्वरुप धोती को पहन कर अंग्रेजी की नितियों का प्रतिकार किया था।

  चरखा गांधी जी को बेहद प्रिय था ।चरखा से सूत काटकर वो वस्त्र का निर्माण करते थे और उसी को पहनते थे।खादी टोपी सफेद टोपी गांधी टोपी यह सब गांधी जी के प्रिय थे।

गांधी जी को अनेक भाषाए आती थी जिसमें गुजराती ,अंग्रेजी,,उर्दू,मद्रासी,तमिल,संस्कृत,साथ ही फ्रेच,भाषा भी जानते थे। गांधी जी की उपयुक्त बातें  आदतें,व्यवहार सबका मन मोह लेती थी। गांधी जी के विचारो की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है ।गांधीवाद जिसमे आध्यात्म वाद को प्रमुखता से बल दिया गया ,।कथनी व करनी मे कोई अंतर न करना उनकी जीवन मे शुमार था ।अहिंसा जीवन का प्रमुख आदर्श रहा। अपरिग्रह (किसी का त्याग न करना पर) आजीवन चलते रहे।

 कहते हैं न कि हम जीवन मे सबको खुश व संतुष्ट नही रख सकते । ठीक उसी प्रकार गांधी जी के कुछ विचारो से कुछ लोग नाराज भी रहते थे और यही नाराजगी एक दिन उनको अपनी जान देकर गंवानी पड़ी।

   कुछ लोग जो क्रांतिकारी विचारधारा के थे । गांधी जी पर भगत सिंह की फांसी को लेकर सवाल करते थे कि यदि वो चाहते तो उनकी फांसी रुक सकती थी ।लेकिन गांधीजी अहिंसा वाद के चलते अपने उसलो को न बदलते हुए इस पर ध्यान नही दिया ।

  गांधी जी के ऊपर पाकिस्तान के कर्ज को भारत को ही अदा करवाने कॊ लेकर सवाल खड़ा किया जाता है । लेकिन उनकी सोच पाकिस्तान को छोटा भाई मानते हुए उसको सहायता करने की थी ताकि पाकिस्तान भी आगे बढ़ सके । खैर...

 समय बदला ,ख्याल बदला ,नेताबदले ,राजनीति बदली, अंतर्राष्ट्रीय समीकरण बदले ,नही बदली तो गांधी जी के विचार । इनके विचारो की प्रासंगिकता आज भी कायम है । यदि लोग सच्चे दिल से इनके विचारो को अपनाए । अपनी अंतर्रात्मा की आवाज सुनते हुए  छल ,कपट, बेइमानी ,घुसखोरी से दूर रहे तो भारत को महानतम देशो की श्रेणी मे आने से कोई नही रख सकता ।

केवल एक दिन गांधी जी याद करके उनकी बातों को उनके विचारों को याद करके अपने जीवन मे बदलाव नही ला सकते । हमें हर पल उनके विचारो को अपने हृदय मे संजोकर रखने के साथ ही व्यवहार मे उतारने की जरूरत है ।


                    श्रीमती शांति थवाईत

           व्याख्याता  एल बी राजनीति विज्ञान

                         कोटमी  डभरा

              जिला जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़

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