दिव्यांग होते हुए भी शिक्षक व विद्यार्थी के लिये प्रेरणा बने शिक्षक- डाॅ.शिवनारायण देवांगन "आस" । शिक्षक दिवस पर विशेष

 

संवाद यात्रा / जांजगीर-चांपा/छत्तीसगढ़/ अनंत थवाईत


  यूं ही नहीं झरते ख्वाहिशों के फूल झोली में

               कर्म के साख को हिलाना पड़ता है 

कुछ नहीं होता अंधेरों को कोसने से 

      अपने हिस्से का दिया खुद जलाना पड़ता है ।।


            उक्त पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए शिक्षक डा.शिवनारायण देवांगन ने जीवन मे अनेक उपलब्धियां हासिल की है ।

शरीर से स्वस्थ व्यक्ति भी जो कार्य न कर पाए उस कार्य को एक दिव्यांग द्वारा किया जाए तो वह वह सबके लिये प्रेरणा बन जाता है ।  

शिक्षक दिवस पर हम एक ऐसे ही व्यक्ति से आपका परिचय कराते है जिसका हौसला देखकर दंग रह जायेंगे ।  शास.उच्च.माध्यमिक शाला अंजोरा (ख) दुर्ग के व्याख्याता जीवविज्ञान के पद पर पदस्थ डाॅ.शिवनारायण देवांगन "आस" को देख पहली बार में यकीन नहीं होता कि साधारण सा दिखने वाला ये शिक्षक भला क्या कुछ कर पाता होगा । लेकिन साधारण सा दिखने वाले इस व्यक्ति ने ऐसी कामयाबी हासिल कि है कि वे शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए है । 

 एम.एस.सी.वनस्पति विज्ञान,  बी.एड.आयुर्वेद रत्न, पत्रकारिता, विद्या-वाचस्पति, मानद पी.एच.डी., साहित्य-रत्न, आचार्य जैसे उपाधियों से विभूषित शिक्षक शिवनारायण देवांगन ने अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी न बनाते हुए लोगों के लिए प्रेरणा का विषय बना दिया । 

 शिक्षा का क्षेत्र हो ,साहित्य, सांस्कृतिक ,खेल समाज सेवा या अन्य क्षेत्र सभी में पारंगत हैं  शिवनारायण देवांगन "आस"  ।

 समय से पहले स्कूल जाना और समय के बाद निकलना उनकी आदत में शुमार है शिक्षण के साथ शाला के सभी कार्य करने में महारत हासिल है सभी गतिविधियों में सक्रिय रूप से जुड़े रहना और समय समय पर कार्यक्रम आयोजित करना उनका शौक बन गया है ।   

वर्तमान में शिक्षक व छात्र के सर्वागीण विकास के लिए कार्य करने की बहुआयामी संस्था का गठन किया शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ जिसका संस्थापक व संयोजक के रूप में 20 जिला मे विस्तार किए   कोरोना काल में अब तक दो सौ से ज्यादा कार्यक्रम अनलाइन कराकर मिसाल बना चुके  हैं नित नये कार्यक्रम से शिक्षा जगत में काफी उत्साह का माहौल है जिसका पूरा श्रेय शिवनारायण देवांगन पर जाता है ।        

दुर्ग जिला दिव्यांग संघ के संरक्षक के रूप में दिव्यांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं वही समय समय पर कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं  । साहित्य क्षेत्र में अपने संपादन व संकलन में अब तक 16 राष्ट्रीय साहित्य संकलन, 4 सामाजिक पत्रिका, 6 कवियों का काव्य संग्रह,  एक नाटक संग्रह, नारी विशेषांक-अबला नहीं नारी , पाहंदा की इतिहास "प्रेरणा"  व स्वयं की कृति "वक्त ये कहता है" अब तक प्रकाशित हो चुका है । कई सम्मान अब तक प्राप्त हो चुका है। वहीं समाज सेवा के क्षेत्र में अब तक सैकड़ों कार्यक्रम का आयोजन कर चुके हैं जिसमें बालिका प्रोत्साहन, शहीदों के लिये कार्यक्रम, दिव्यांग के सहायतार्थ,बालिका शिक्षा, महिला को निरंतर प्रोत्साहन व सम्मान, विद्यार्थी के निरंतर कार्य,  पेटिंग, निबंध, सामान्य ज्ञान, रंगोली, मेहदी, नृत्य, गायन जैसे सभी कार्यक्रम अब तक करा चुके हैं ।     

इतनी सारी उपलब्धियों के बाद भी सरकारी सम्मान न मिल पाने के संबंध मे वे स्पष्ट रुप से कहते हैं कि यदि मेरा कार्य सम्मान के लायक है तो वे मुझे स्वयं सम्मानित करेंगे लेकिन सम्मान पाने के लिए कभी आवेदन नहीं लगाऊंगा

 डा.शिवनारायण देवांगन वर्तमान मे संस्थापक व संयोजक -शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़, संयोजक- बहुआयामी संस्था प्रेरणा, संरक्षक-दुर्ग जिला दिव्यांग संघ, प्रांताध्यक्ष-शिक्षक साहित्यकार मंच,महासचिव-दुर्ग जिला शिक्षक महासंघ, संस्थापक-शिखर साहित्य समिति, महासचिव- छ.ग.शिक्षक कल्याण मंच व  संपादक- महिमा प्रकाशन दुर्ग सहित बहुत से संस्था मे सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं । आज सैकड़ों शिक्षक व विद्यार्थीयो के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके है सभी इनके प्रेरणास्रोत कार्यक्रम से काफी प्रभावित है ।



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