पितृपक्ष पर विशेष छत्तीसगढ़ी रचना : एम्स रायपुर मे नर्सिंग आफीसर के पद पर कार्यरत "कविता कन्नौजे" की कलम से .
.
आज से पितृपक्ष प्रारंभ हो रहा है । सोलह दिनों का यह पितृपक्ष पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रगट करने का उत्सव है। लोग बड़ी श्रद्धा के साथ पितरों के सत्कार के लिए घर आंगन की सफाई करके गोबर से लीप पोत के चौका चंदन पीढ़ा सजा कर रखते है । और पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त उनसे घर परिवार के लिए आशीर्वाद की कामना करते हैं। पितृपक्ष पर पितरों को न्यौता देने ,खाने पीने की तैयारी करने, कौओं को भोज कराने आदि बातों को काव्य मे पिरोते हुए रायपुर एम्स में नर्सिंग आफीसर के पद पर कार्यरत कविता कन्नौजे ने अपनी छत्तीसगढ़ी रचना प्रेषित की है । जिसे हम ज्यों का त्यों यहां प्रस्तुत कर रहें है... - -अनंत थवाईत संपादक संवाद यात्रा न्यूज पोर्टल
"पितर के नेवता"
बिहनिया ले मोर महतारी के ओरी लिपाय,
चाउर के पिसान ले ,चउंक पुराय
कठुआ के पीढ़ा ऊपर कांशा के लोटा,
लोटा मा पानी, अउ मुखारी भराय।।
धरके उरीद दार, अउ पाना तोरई
जावत हे तरिया, मुरशुद्धा नहाय,
तरिया के पार मा देवत हे पानी,
कहत हे नेवता हे!, हे पूर्वज,हे माई।।
घर मा आके, दाई बइठत हे तेलाई,
रांधत हे सोहारी -बरा आउ साग तोरई
छेना के आगी, अउ गुड़ चीला के हुम,
कहत हे कउआ ला, आ खा ले कईइ.,
करिया कउंआ देखा के,मोला बतावत हे दाई,
आगे हमर सियान मन ह, ओदे तोर कका दाई,
देवव आशीर्बाद, करव भूल चूक माफी,
बइठकि के नेवता हे, हे पूर्वज ! ,हे माई।।
KAVITA KANNAUJE
NURSING OFFICER
AIIMS RAIPUR Chhattisgarh.








पितृपक्ष पर बहुत ही सारगर्भित रचना!
जवाब देंहटाएंकवयित्री को शुभकामनाएं!
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं