थूक हर राजनीति के लाइक होगे कि राजनीति हर थूके के लाइक होगे ? जइसे थूके थूक म लाड़ु नइ बंधाय वइसने थूके थूक म मंत्री मंडल नइ बोहाय । छग भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी देवी के बयान आऊ समारू पहारू के गोठ
संवाद यात्रा / जांजगीर-चांपा / छत्तीसगढ़ / अनंत थवाईत
समारू पहारू के गोठसमारू..... भइया सुने हावस भाजपा के बस्तर चिंतन शिविर म छत्तीसगढ़ के प्रभारी डी . पुरंदेश्वरी देवी हर कहिन कि भाजपा के कार्यकर्ता मन पाछु मुड़ के कभु थूक दिहि त भूपेश सरकार के जम्मो मंत्री मंडल हर बोहा जाही।
पहारू..... त का होगे ठीक तो कहिस पुरंदेश्वरी देवी हर । भाजपा हर विश्व के सबले बड़का राजनीतिक दल आय । ओकर करोड़ों कार्यकर्ता के थूके ले भूपेश बघेल के मंत्री मंडल तो का संगमरमर के बने मकबरा ( ताजमहल ) घलव हर ढह जाही ।
समारू..... तहूं भइया अलकरहा गोठ करथस । मैं हर इंहा पुरंदेश्वरी देवी के गोठ करत हांवव आऊ तैं कहां ताजमहल के गोठ गोठियाय लागे । तैं ये बता पुरंदेश्वरी देवी जइसे बड़का नेता आऊ ओहु म महिला । का ओकर बयान हर सहराय लाइक हावय ?
पहारू..... कतको लबरा मनखे मन थूके थूक म लाड़ु बांधथे वइसने पुरंदेश्वरी देवी हर थूके थूक म मंत्री मंडल ल बोहाय के गोठ करे हे । तैं काबर अतेक हलकान होवत हस । अरे भाई जइसे थूके थूक म लाड़ु नइ बंधाय वइसने थूके थूक म मंत्री मंडल नइ बोहाय । बड़का नेता मन के जुबान हर बखत बखत म फिसलत रइथे । येमा कोन सा पहाड़ टूट गे । वइसे भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर ओला सुग्घर जवाब भी तो देहे हावय ।
समारू..... का जवाब देहे हे भूपेश कका हर ?
पहारू..... जब पुरंदेश्वरी देवी के बयान ल लेके पत्रकार मन मुख्यमंत्री के बिचार ल पूछिन त मुख्यमंत्री घलव हर कहिस आगाश कोति मुंह ल कर के थूके ले थूक हर थूक्इया के मुंह म ही गिरथे ।
समारू..... एक बात बता भइया का थूक हर राजनीति के लाइक होगे ? या फेर राजनीति हर थूके के लाइक होगे ?
पहारू..... देख भाई बड़का नेता मन के छोटकुन गोठ हर भी राजनीति के बड़का बिसय बन जाथे । आऊ राजनीति करइया मन छोट छोट गोठ म राजनीति करथे तेकरे सेति ये थूक ल लेके राजनीतिक बयान बाजी शुरू होगे । मैं हर तोला कभु कइ देवत हांव कि राजनीति हर थूके के लाइक हावय त तहिं हर मोला येको दिन कइ देबे कि भइया तहुं हर थूक के चाटत हस । तेकर सेति मैं राजनीति ल घलव थूके के लाइक नइ मानंव । काबर कि जन्मे से लेके मरे तक म मनखे मन ल राजनीति के सहारा लेहे बर परथे ।
समारू.....ठउका गोठ करत हस भइया । लइका जनमथे त ओकर जनम परमान पत्र बर नेता के सिफारिश चाही । स्कूल म भरती कराबे त सिफारिश चाही, नौकरी म लगाना हे त सिफारिश चाही, मनखे मर जाथे त मृत्यु परमान पत्र बर सिफारिश चाही । कुल मिलाके राजनीति हर हमर जीवन शैली के एक ठन अंग बनगे हावय।
पहारू..... हां जइसे राजनीति हर हमर जीवन शैली के अंग बनगे हावय ओइसने थूक हर भी हमर जीवन शैली के अंग बने हे ।
समारू..... तहूं हर भइया बड़ चोरो बोरो हस । थूक हर कभू हमर जीवन शैली के अंग बनही ? अलकरहा गोठ करथस ।
पहारू..... देख भाई नानपन म हमन स्कूल जावन त ऊंहा सिलेट ल थूक म पोछन कि नही ? बैंक वाला मन आऊ बड़का ब्यापारी मन थूक लगा के नोट गिनथे कि नहीं ? सूजी म धागा घुसारे के बेर धागा म थूक लगाथे कि नहीं ? कतको मनखे मन अंतरदेशी चिट्ठी आऊ लिफाफा म थूक लगाके टिकिट चटकाथे कि नहीं ?
समारू..... भइया ये थूके के गोठ करत करत तैं अपन मुंह म गुटका ल भरे हावस । आऊ जम्मो थूक ल मुंह के भीतर लिलत जात हस बाहिर तो थूक देते ..!
पहारू...... आने गोठ करत करत तैं आने ताने गोठिया के मोला गुस्सा झन देवा भाई । नहीं त जतका गुटका मुंह म भरे हांव थूक सहित तोर मुंह म थूक दुंहु ।अब ये गोठ ल इही मेर बंद कर ।








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