स्मृति शेष : स्व.युद्ववीर सिंह जूदेव व्याख्याता श्रीमती शांति थवाईत की कलम से...
पूर्व विधायक एवं संसदीय सचिव युद्धवीर सिंह जूदेव के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए डभरा कोटमी हाईस्कूल की व्याख्याता श्रीमती शांति थवाईत ने स्व .जूदेव से जुड़ी यादों को अपनी कलम से शब्दों का रुप दिया है जिसे हम संवाद यात्रा न्यूज पोर्टल के पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे है....
जूदेव के साथ आयुश थवाईत । शिक्षक प्रतिनिधियों के साथ जूदेव से भेंट करती श्रीमती शांति थवाईतचंद्रपुर क्षेत्र के भूतपूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव जी का यूं असमय छोड़ कर चले जाना नि: संदेह राजनीति के क्षेत्र मे एक अपूर्णीय क्षति है ।
इस दुनिया से जब कोई अलविदा लेता है तो उसकी यादें उसकी बातें हमे बहुत याद आती है ।
युद्धवीर सिंह से मेरा पहला परिचय डभरा के कर्मचारी भवन मे हुआ था। जब वो चंद्रपुर क्षेत्र से चुनाव लडने की रणनीति के तहत इस क्षेत्र का सघन दौरा कर रहे थे । हम लोगो का परिचय भाई हेमंत पटेल के माध्यम से हुआ।
चुनाव हुआ जनता ने उनको मौका दिया इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने का । हम लोग चूंकि एक संगठन से जुडे हैं और हमारी समस्याओं के समाधान के लिए जन प्रतिनिधि का सहयोग लेना आवश्यक था।
बात तब की है जब हमारी पहचान शिक्षाकर्मी के थी । हमारी अनेको समस्याएं रहती थी ।जिनमे वेतन समय पर न मिलना एरियस राशि का समय मे भुगतान न होना आदि प्रमुख समस्याएं थी । इसी सिलसिले मे जब भी जूदेव जी हरदी अपने निवास आते हम लोग वहां अपनी समस्या लेकर पहुंच जाते थे । वे सबसे पहले परिचय पूछते थे सभी सदस्यो का । एक दो बार मुलाकात के बाद बाकायदा हम लोगो को नाम से बुलाते थे ।
एक दिन मैने उनको बोला कि मुझे एक बात आपको बोलनी है बोलू क्या? तो वे बोले कि बोलिए न मैडम जी आपकी बातो को बिल्कुल सुनेगे । तब मैने उनसे कहा था कि आपके पिताजी यानि दिलीप सिंह जूदेव जी बहुत अच्छे व्यक्तितत्व के थे । आप उनके जैसे ही अपनी छवि इस क्षेत्र मे बनाकर अपनी पहचान बनाइगा। उन्होंने कहा था बिल्कुल मैडम जी आपकी बातो को ध्यान मे रखुंगा ।
उसके बाद उनसे हमारी मुलाकात होते रहती थी । एक बार मैं अपने साथ अपने बेटे आयुष को लेकर गयी थी । बहुत ही आत्मियता से उन्होने मेरे बच्चे से बात किया ।गोद मे उठाकर नाम पढाई के बारे मे पूछा । और फोटो खिंचवाया ।
उनकी सबसे खासबात यह थी कि वो हमेशा एक बात बोलते थे कि इस क्षेत्र मे शिक्षक व किसानो को कोइ परेशानी नही होनी चाहिए ।
हमारी मुख्य परेशानी वेतन ही थी । समय पर कभी मिलता ही नही था । कभी आबंटन का अभाव तो कभी अधिकारियो की लेट लतीफा के कारण हमे परेशान होना पडता था ।
जूदेव जी के पास हम जैसे ही जाते तुरंत अपने लेटर पेड मे आबंटन की मांग लिख ही देते।हमारे सामने ही अधिकारियो को निर्देशित भी करते हमारी समस्या का समाधान करने के लिए ।
उनके व अधिकारियो जिनमे तत्कालीन अधिकारियो जिनमे अजीत बसंत जी जिला सी ईओ नितेश उपाध्याय जी जनपद सी ईओ व बी एल खरे जी डभरा बी ईओ के सहयोग से डभरा ब्लाक मे लंबित एरियस राशि को बनवाकर बहुत बडा कार्य संगठन के द्दारा किया गया था ।जिनमे जूदेव जी के व अधिकारियो के सदा आभारी रहेगे ।
एक प्रतिनिधि मे प्रशासनिक क्षमता होती है तो निश्चित तौर. पर कार्य तेज गति से होता है ।
युद्धवीर सिंह जूदेव जी के यूं चले जाने से उनके चाहने वाले मानने वाले प्रतिद्वंद्वी सब के सब स्तब्ध है ।
नियति के आगे सब नतमस्तक हो जाते है
नियति के फैसले से सब कुछ अस्त व्यस्त हो जाते है
नियति इंसान को बहा के जाती है अपने साथ
पर रहती है तो केवल मनुष्य के द्दारा किये गये कर्म
ईश्वर आपको अपने श्री चरणो मे स्थान दे आपको चिरशांति प्रदान करें.....
विनम्र श्रद्धांजलि
श्रीमती शांति थवाईत
व्याख्याता राजनीति विज्ञान कोटमी (डभरा)







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