बयान वीरों, कलम वीरों की नगरी चांपा मे कर्मवीरों की कमी : चांपा को स्वतंत्र जिला और विधानसभा बनाए जाने का लक्ष्य लेकर एकजुटता की आवश्यकता । संदर्भ : प्रदेश मे नए जिले गठन की घोषणा पश्चात नगर मे छिड़ी चर्चा
संवाद यात्रा / जांजगीर-चांपा / छत्तीसगढ़ / अनंत थवाईत
गत पंद्रह अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश मे नए जिलों का गठन किए जाने की घोषणा पश्चात चांपा नगर के चौक चौराहों एवं सोशल मीडिया पर तरह तरह की चर्चाएं हो रही है । जितनी मुंह उतनी बातें वाली कहावत को चरितार्थ करती इन चर्चाओं का अंतहीन सफर किस मुकाम पर पहुंचेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा ।
सोशल मीडिया पर दो दिन चल रही चर्चाओं को ध्यान मे रखकर नगर की सबसे पुरानी समिति जनाधिकार संघर्ष समिति के अध्यक्ष के नाते कार्तिकेश्वर स्वर्णकार ने नगर के नागरिकों की बैठक बुलाई । इस बैठक मे जनप्रतिनिधि के नाते पूर्व विधायक मोतीलाल लाल देवांगन नगरपालिका के अध्यक्ष जय थवाईत पूर्व पालिकाध्यक्ष राजेश अग्रवाल पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रदीप नामदेव के साथ ही अधिवक्ता संघ प्रेस क्लब , व्यापारी संघ चेंबर आफ कामर्स के प्रतिनिधियों तथा विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग उपस्थित हुए । इस बैठक मे उपस्थित अधिकांश लोगों ने नगर के बौने नेतृत्व पर ही अपना भड़ास निकाला । कुछ लोगों ने जनता की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया ।
पच्चीस वर्ष पहले की तरह डा.चरणदास महंत को भ्रम मे डालने की हुई कोशिश .....
लगभग पच्चीस छब्बीस वर्ष पहले जब तत्कालीन गृहमंत्री के रुप मे डा.चरण दास महंत शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नवीन भवन लोकार्पण करने आए थे ।उस वक्त विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने महंत का ध्यानाकर्षण कराने के लिए शाला के प्रवेश द्वार के पास पंडाल लगाकर बैठे थे । शाला आने जाने के लिए सुरक्षित द्वार , शाला के चारों ओर अहाता निर्माण , तथा शाला का नाम महारानी लक्ष्मीबाई के नाम पर रखने आदि समस्याओं के निराकरण के लिए मांग पत्र देना विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं का एक मात्र उद्देश्य था । किन्तु कुछ नेताओं एवं पत्रकारों ने इसे महंत का विरोध के रुप मे प्रचारित प्रसारित कर दिया । चूंकि डा.चरण दास महंत गृह मंत्री थे इस कारण विरोध की बात पुलिस महकमा के लिए तनाव और समस्या बन गई थी लेकिन तत्कालीन थानेदार राजेश खरे की सुझबुझ से पुरे मामले का पटाक्षेप हुआ । रामचरन सोनी जी (गुरुजी) की अगुवाई मे विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने विश्राम गृह मे डा.चरण दास महंत से पुरे मामले पर चर्चा की उसके बाद महंत शाला भवन का लोकार्पण करने गए ।
ठीक उसी प्रकार गत 17 को जनाधिकार संघर्ष समिति के अध्यक्ष के नाते कार्तिकेश्वर स्वर्णकार ने विश्राम गृह मे नागरिकों की बैठक बुलाई । इसी समय विधानसभा अध्यक्ष डा.चरण दास महंत भी विश्राम गृह पहुंचने वाले थे । अचानक बनी इस परिस्थिति से विश्राम गृह के अधिकारी कर्मचारी के साथ ही स्थानीय पुलिस अधिकारी उलझन मे फंस गए कि आम नागरिकों की बैठक के बीच कभी विधानसभा अध्यक्ष डा.महंत आ गए और किसी ने उनका विरोध करते हुए आक्रोश दिखा दिया तो क्या होगा ? इसी बीच किसी ने डा.महंत तक नागरिकों की इस बैठक को विरोध के रुप मे सूचना पहुंचा दी और शायद यही कारण था कि थाने से कार्तिकेश्वर स्वर्णकार के पास बार बार मोबाइल से बैठक के बारे मे वास्तविक जानकारी मांगी जा रही थी । इस सब स्थिति को देखते हुए कार्तिकेश्वर स्वर्णकार ने कुछ लोगों से सलाह मशविरा करके बैठक का स्थान परिवर्तन करके शासन प्रशासन की चिंता दूर करने का काम किया ।
सार्थक परिणाम दिलाने वाले कर्मवीरों की कमी ...
6 मई 1974 को तत्कालीन सरकार ने चांपा को जिला बनाए जाने की घोषणा की थी बकायदा राजपत्र भी जारी कर दिया गया था किन्तु नगर के नेतृत्व के बौने पन के कारण चांपा छला गया और कभी जिला नहीं बन पाया । जिला बनाने की मांग लेकर यहां आंदोलन भी चलाया गया पर सब कुछ केवल रश्म अदायगी बन कर रह गया । हद तो तब और हुआ कि बिना किसी आंदोलन के या मांग किए कोरबा को जिला बना दिया गया । और चांपा का नाम जांजगीर के साथ जोड़कर नगर की जनता की भावनाओं का खुलेआम खिलवाड़ किया गया । मुंगेरी लाल के सपने की तरह चांपा के लोग केवल जिला बनने की सपना ही देखते रहे हैं । चांपा नगर मे बयान वीरों और कलम वीरों की कमी नहीं है । कमी है तो नगर हित मे सार्थक परिणाम दिलाने वाले नि:स्वार्थ कर्मवीरों की । मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि चांपा को वास्तविक गौरव दिलाने के लिए तन मन धन की आवश्यकता है । बार बार राजधानी जाना , आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय जाना कागजात तैयार कराना इन सब कार्यों मे धन की आवश्यकता होगी । और इन कार्यों के लिए बिना अपने नाम का प्रचार प्रसार किए और अपने निजी लाभ हानि को दरकिनार कर केवल अपने कामो पर ध्यान केंद्रित करके अपना कर्तव्य निभाने वाले कर्मवीर स्पष्ट रुप से नजर नहीं आ रहें हैं । यहां तो अखबारों मे नाम न आने से अनेक लोगों नाराज हो जाते हैं ।
चांपा को पृथक जिला एवं विधानसभा बनवाने का लक्ष्य लेकर एकजुटता की आवश्यकता ...
1974 मे राजपत्र मे प्रकाशित होने के बाद भी चांपा का जिला न बन पाने को दृष्टिगत रखते हुए तथा पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए भविष्य मे चांपा को पृथक जिला बनाए जाने एवं पृथक रुप से विधानसभा बनाए जाने के लिए एक सुव्यवस्थित और प्रभावी आंदोलन चलाए जाने की आवश्यकता है । और यह आंदोलन हर मोर्चे पर सफल हो चाहे वह सड़क पर उतर कर संघर्ष करने की बात हो या फिर शासकीय कार्यालयों मे अपने पक्ष रखने की बात हो । हर कार्य को धैर्य पूर्वक चरण बद्ध तरीके से करने की आवश्यकता है । तभी हमें भविष्य मे सफलता मिल सकती है । विधि विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करके क्षेत्र का तर्कसंगत ढ़ंग से परिसीमन ,आवागमन , व्यवसायिक महत्व राजस्व क्षेत्र फल आदि बातों को विधिवत शासन के समक्ष रखते हुए अपनी मांगों को पूर्ण काराने की दिशा मे कार्य करना होगा । तभी चांपा जिला ओर पृथक विधानसभा का सपना पूरा होगा ।
यूं ही नहीं झरते ख्वाहिशों के फूल झोली मे
कर्म के शाख को हिलाना पड़ता है ।
कुछ नहीं होगा अंधेरों को कोसने से
अपने हिस्से का दिया खुद जलाना पड़ता है ।।








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