पुष्प की सुगंध क्षणिक होती है ,और सेवा का सुगंध दीर्घ काल तक । स्मृति शेष : दामोदर गणेश बापट जी
भारतीय कुष्ठ निवारक संघ कात्रे नगर सोंठी के सचिव रहे पद्मश्री सम्मान से विभूषित स्व बापट जी की द्वितीय पुण्यतिथि पर शत-शत नमन ....
स्मृति शेष बापट जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए दो वर्ष पूर्व 29 अप्रैल 2019 को उनके जन्मदिवस पर लिखे मेरे लेख आप सबसे साझा कर रहा हूं...
संवाद यात्रा/ जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ / अनंत थवाईत
पद्मश्री बापट जी"कुष्ठ रोगी की प्रेरणा से सेवा कार्य करने वाले बापट जी स्वयं दूसरों के लिए प्रेरणा बने"..
पिछले साल केन्द्र के मोदी सरकार के निर्णय पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा बापट जी को पद्मश्री सम्मान से विभूषित किए जाने पर जांजगीर चांपा जिला का गौरव राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा है इसमें कोई संशय नहीं है
बापट जी का नाम मुख मे आते ही बापट जी का सादगी भरा व्यक्तित्व चित्र की भांति आंखों के सामने उभर आता है सफेद खादी की धोती आधे बांह की कुर्ता और पैरों मे साधारण सा चप्पल पहने इस व्यक्ति को देखकर कोई अनजान व्यक्ति अंदाजा भी नहीं लगा पाएगा कि यह शख्स भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के सेवाव्रती कर्मयोगी बापट जी हैं जो पद्मश्री से विभूषित हैं
बापट जी ने पद्मश्री सम्मान प्राप्त कर जांजगीर चांपा जिला को राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है इस हेतु उनकी जितनी प्रशंसा की जाए वह बहुत कम है सामान्य कद काठी का साधारण सा दिखने वाले बापट जी का सेवा कार्य असाधारण है उनके व्यक्तित्व और सेवा कार्यों को शब्दों मे बांध पाना मेरे लिए असंभव है
29.4.1935 को महाराष्ट्र के जिला अमरावती तहसील दर्मापुर के ग्राम पथरोट मे जन्मे बापट जी का पुरा नाम दामोदर गणेश बापट तथा पिता का नाम स्व. गणेश विनायक बापट एवं माता जी का नाम स्व.लक्ष्मी बाई गणेश बापट है बापट जी ने बी.ए.बी.काम तक की शिक्षा ग्रहण की है
भारतीय कुष्ठ निवारक संघ मे बापट जी का आगमन ...
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सर संघ चालक माननीय माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर (गुरुजी) के मार्गदर्शन मे सदाशिव गोविंद कात्रे जी ने छत्तीसगढ़ के प्रबुद्ध लोगों से चर्चा करके मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट :1959 कंडिका 6(1)1960 के अंतर्गत भारतीय कुष्ठ निवारक संघ चांपा के नाम से दिनांक 5 मई 1962 को विधिवत संस्था का पंजीयन कराया जिसमें संस्थापक सदस्य इस प्रकार थे 1.जमुना प्रसाद वकील बिलासपुर ( अध्यक्ष) 2, सदाशिव गोंविंद कात्रे चांपा ( सचिव) 3,बजरंग मुरारका बिलासपुर 4, डा.टी.एम.दाबके रायपुर 5,पंढरी राव कृदत्त धमतरी 6,बालाजी प्रसाद तुलस्यान गोरखपुर ( उत्तर प्रदेश) 7,डा.गोदावरीश शर्मा चांपा 8,जीवन लाल साव चांपा सदस्य थे
अपने पचपनवें वर्ष की आयु मे भारतीय कुष्ठ निवारक संघ की स्धापना करने वाले कात्रे जी ने समर्पण निष्ठा परिश्रम और साधना के बल पर भारतीय कुष्ठ निवारक संघ का जो बीजारोपण किया था वह फलने फूलने लगा था और कात्रे जी वृद्धावस्था मे पहुंच रहे थे कात्रे जी को यह चिंता सताने लगी थी कि उनके बाद इस आश्रम को कौन संभालेगा ऐसे चिंता की घड़ी मे 1972,, में बापट जी जैसे स्वयं सेवक कात्रे जी के संपर्क मे आए और हमेशा के लिए आश्रम मे सेवा के लिए लग गए
16 मई 1977 को कात्रे जी के निधन पश्चात बापट जी ने पूरी निष्ठा लगन और परिश्रम से आश्रम को संवारने का कार्य किया उनके द्वारा आश्रम परिसर मे ही कात्रे जी की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई समाधि स्थल बनाया गया तथा माधव सागर के नाम से तालाब का निर्माण भी कराया गया है
सेवा का तीर्थस्थली ....
पुष्प की सुगंध क्षणिक प्रसन्नता दायी होती है और सेवा का सुगंध दीर्घकालिक और प्रेरणादायी होता है भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के नाम से संचालित इस आश्रम मे चिकित्सालय विद्यालय गौशाला छात्रावास खेत खलिहान सुन्दर बाग बगीचे तालाब लघु एवं कुटीर उद्योग केन्द्र सिलाई बुनाई केन्द्र मंदिर डाकघर आदि सभी कुछ है जिनके माध्यम से समाज के उपेक्षित लोगों और कुष्ठ रोगियों में स्वावलंबन का भाव जगाया जा रहा है आश्रम की गतिविधियों को देखकर इसे सेवा का तीर्थ स्थली कहना श्रेयस्कर होगा ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रभाव ...
चूंकि भारतीय कुष्ठ निवारक संघ की सथापना कात्रे जी ने तत्कालीन सर संघचालक माननीय माधव राव सदाशिव गोलवरकर जी के मार्गदर्शन मे किया था इस हेतू आश्रम मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रभाव स्पष्ट रुप से दिखता है सन 2006 मे संघ के तत्कालीन सहकार्यवाह वर्तमान मे परम पूज्य सरसंघ चालक माननीय मोहन भागवत जी दीपावली के पुण्य अवसर पर आश्रम मे आए थे तब उन्होंने कहा था कि जो लोग बिना किसी लोभ लालच के अपनी कर्म साधना मे लगे हुए हैं उनकी तपस्या एवं साधना से ही यह देश और समाज बचा हुआ है श्री कात्रे गुरुजी भी ऐसे ही थे महापुरुष जिस स्थान पर कर्म साधना करने लगते है वह स्थान ही तीर्थ स्थल बन जाता है
ऐसे हैं बापट जी.....
भारतीय कुष्ठ निवारक संघ कात्रे नगर सोंठी द्वारा सन2011.12 में स्वर्ण जयंती महोत्सव वर्ष मनाया जा रहा था इसी बीच संस्था द्वारा स्मारिका "भागीरथ"का प्रकाशन भी हुआ इस पत्रिका मे मैंने बापट जी के व्यक्तित्व पर प्रकाशन हेतु कविता भेजी थी पर बापट जी ने इसे बड़ी विनम्रता से यह कह कर वापस कर दिया था कि स्मारिका में "व्यक्तिगत प्रसंशा "ठीक नहीं हैं
आज के समय मे अपनी नाम और प्रशंसा के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते?
ऐसे समय मे बापट जी से जुड़ा यह प्रसंग सेवा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए निसंदेह एक प्रेरणा दायी संदेश हैं
तुम तो मुझे जानते हो....
जुलाई 1996मे मैं जब माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कार्यशाला मे शामिल होने बिलासपुर पहुंचा तब मेरे सामने एक सप्ताह तक वहां ठहरने की समस्या आ गई थी मैं संघ कार्यालय कालकर कुंज पहुंचा और वहां कार्यालय प्रभारी को एक सप्ताह तक अपने रुकने की बात कही तो उन्होंने मुझसे संघ के किसी अधिकारी द्वारा पहचान पत्र लाने को कहा मैं मायुश होकर कार्यालय से बाहर निकल रहा था कि सामने से बापट जी को आते देखा मैने उन्हें नमस्कार कहा और अपनी समस्या बताई चूंकि आश्रम मे बापट जी से तो कई बार भेंट हुई थी लेकिन सीधे तौर पर मेरा उनसे कोई व्यक्तिगत परिचय नहीं था इसलिए मैंने उन्हें पुछा आप मुझे पहचानते है तो संघ कार्यालय मे ठहरने के लिए परिचय पत्र लिख दिजिए मेरी बात सुन उन्होंने तुरंत कहा तुम तो मुझे जानते हो न ... बस यही काफी है और उन्होंने मुझे पत्र लिख कर दिया जिसे मेंने संघ कार्यालय मे ले जाकर दिया तो कार्यालय प्रभारी ने मुझे आश्चर्य से देखा और फिर एक सप्ताह तक मुझे ठहरने की अनुमति दे दी।
राष्ट्रपति से अनुदान और राष्ट्रपति से पद्मश्री ....
सदाशिव गोंविद कात्रे स्वयं एक कुष्ठ रोगी थे और कुष्ठ कल्याण हेतु भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डा.राधाकृष्णन से 1000 रुपये का अनुदान 14 मार्च 1963 को प्राप्त किया था
इसे एक सुखद संयोग ही कहा जाए कि राष्ट्रपति से अनुदान लाने वाले कात्रे जी की प्रेरणा से भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के सेवा कार्यों को आगे बढ़ाते हुए बापट जी ने भी राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री सम्मान प्राप्त किया
पहली बार सम्मान व्यक्तित्व को .....
राष्ट्रपति द्वारा बापट जी को पद्मश्री सम्मान प्रदान करना सोंठी आश्रम के इतिहास मे शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि व्यक्तित्व का (बापट जी)सम्मान हुआ है
दरअसल मेरा ऐसा मानना है कि अब तक मुंबई कलकत्ता दिल्ली इंदौर रायपुर हरिद्वार भोपाल कोल्हापुर नागपुर कानपूर डोंबिंवली रत्नागिरी आदि नगरों मे संचालित प्रतिष्ठित सामाजिक संस्थाओं द्वारा संस्था के नाम पर अर्थात भारतीय कुष्ठ निवारक संघ को पुरस्कार और सम्मान प्रदान किया जाता रहा है 22 अक्टूबर 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने भी मेरठ मे संस्था के नाम पर ही बापट जी को सम्मानित किया था.
देह दान का महान संकल्प...
बापट जी ने अपना सारा जीवन मानव सेवा मे लगा दिया है उसके बाद भी उनके अंतस मे सेवा का ऐसा भाव रोपित है कि उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र मे अध्ययनरत छात्रों के लिए मरणोपरांत अपना देह दान की घोषणा कर दी है .
पद्मश्री से विभूषित सेवाव्रती बापट जी दीर्घायु हों इन्हीं मंगलकामना के साथ ...
भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के दिव्य पुरुष दामोदर गणेश बापट जी ...
सदाशिव गोविंद कात्रे की तपोभूमि दामोदर गणेश बापट की कर्म भूमि
सोंठी का कुष्ठ आश्रम छत्तीसगढ़ मे चांपा के है निकट
चिकित्सालय स्कूल छात्रावास गौशाला खेत खलिहान मंदिर तालाब
विभिन्न विशेषताओं से हुई है इस कुष्ठ आश्रम की बसाहट
यहां आकर महसूस करें सेवा त्याग समर्पण की सुगंध
यहीं पर मिलेंगे आपको सेवाव्रती दिव्य पुरुष बापट
आडंबर जिनको छू न पाया मन मे न कोई छल कपट
आत्मज्ञानी सेवाभावी कर्मयोगी है दामोदर गणेश बापट
पीड़ित दुखी जन के लिए हमेशा खुले रहते है
उनके आश्रम रुपी सेवा मंदिर के चौखट
कुष्ठ रोग मिटाना है स्वावलंबन का भाव जगाना है
इसी बात का हर पल वे लगाए रहते हैं रट
जो भी दुखी जन पहुंचता चांपा के सोंठी आश्रम मे
आत्मीयता की भाव लिए बापट जी गले लगाते झट
सदाशिव गोविंद कात्रे ने रोपा था जो आश्रम रुपी पौधा
अपने परिश्रम से बापट जी ने उसे बना दिया है अक्षय वट
सोंठी का यह कुष्ठ आश्रम तन मन का एक मंदिर है
यहां का दुष्कर पावन कार्य औरों से है जरा हट
आंखों मे चश्मा मे साधारण चप्पल पहने खादी का कुर्ता
कमर मे अपने वे खादी धोती को रखते लपट
जिओ और जीने दो की उनकी सरल सहज है भावना
प्रेम सहकार्य मंत्र है उनका कर्मयोगी संत है बापट
कैसे बने कर्तव्य परायण कैसे बने नर से नारायण
अपने चारित्रिक गुणों से चुपचाप बताते हैं बापट
शब्दों की सीमाओं मे कभी बंध नहीं सकते दामोदर गणेश बापट
मेरे लिखे ये चंद शब्द उनके विशाल व्यक्तित्व की है लघु रपट
कुछ बोल नहीं पाता हूं उनको मैं जाता हूं जब उनके निकट
नमन करता हूं उनको आज मैं खोलकर अपने हृदय का पट
अनंत थवाईत
चांपा
जिला जांजगीर चांपा छग
मो.नं 9826412665







टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें