हिन्दी दिवस --- आलेख श्रीमती शांति थवाईत (व्याख्याता राजनीति विज्ञान )

 


           हिन्दी दिवस : आलेख श्रीमती शांति थवाईत 

सभी हिन्दी प्रेमियो को आज 14 सितम्बर हिंदी दिवस की बहुत बहुत बधाई ।

हिंदी अपनी प्रभावी भाषा

                      इस पर हमे गुमान है !

नमस्ते को दुनिया ने अपनाकर

                     हिंदी का किया सम्मान है !!

आज आधुनिकता के इस युग मे लोग हिंदी भाषा को उपेक्षित नजरो से देखते है ।अंग्रेजी स्कूलो मे बच्चो को पढाना, अंग्रेजी बोलना लोग अपनी शान समझते है ।

  भाषा सभी पूज्यनीय होती है;  लेकिन राजभाषा से प्रेम करना हम सबका परम कर्तव्य है ।गांधीजी का एक वाक्य कही मैने पढा था जो मुझे काफी प्रभावित कर गयी ।लिखा था कि "कह दो गांधी को अंग्रेजी नही आती " ऐसा नही है कि गांधी जी को अंग्रेजी नही आती थी ।वो विदेश मे पढे थे अंग्रेजी जानते थे ।लेकिन उनका यह कहना हिंदी का सम्मान था ।

 आज नरेन्द्र मोदी जी का हिंदी प्रेम व उनके द्दारा अधिकतर हिंदी मे ही दिया जाने वाला भाषण लोगो को मंत्रमुग्ध कर देता है ।

हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा आज तक प्राप्त न होने की वजह कुछ इस तरह से है ।संविधान सभा मे लंबी बहस के बाद यह निर्णय लिया गया कि भारत मे किसी भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा नही दिया जाएगा ।यह भी तय हुआ कि अगले 15 साल यानि 1965 तक अंग्रेजी हिंदी के स्थान पर राजभाषा ( प्रशासन कार्य) के रुप मे प्रयुक्त होती रहेगी तय समय अनुसार 1965 मे जब हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाया जा रहा था तो गैर हिंदी प्रदेशो ने इसका विरोध शुरु कर दिया राज्यव्यापी आंदोलन होने लगे ।सबसे ज्यादा प्रभाव तमिलनाडु मे देखने को मिला।।आंदोलनकारी व पुलिस मे झडप होने लगी ।70 लोग मारे गये ।

  कांग्रेस दो भागो मे बंट गयी । तमिलनाडु के केंद्रिय मंत्रियो ने इस्तीफा दे दिया ।तब प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि किसी भी राज्य की सहमति के बिना उन पर हिंदी थोपी नही जाएगी ।

   1967 मे सरकार ने अधिनियम मे कुछ बदलाव किए ।इसमे हिंदी विरोधियो को खुश करने की कोशिश की गयी।लेकिन सरकार तमिलनाडु मे चुनाव हार गयी ।नये प्रावधान मे यह व्यवस्था की गयी कि राज्य सरकारे अपनी राजभाषा का चुनाव खुद कर सकती है ।यह भाषा अंग्रेजी हिंदी या अन्य भाषा हो सकती है ।

 देश के अधिकांश राज्यो मे बोली जाने वाली हिंदी को वो सम्मान मिलना चाहिए जिसकी वो हकदार है ।अनेको हिंदी प्रेमियो ने इस दिशा मे बेहतरीन कार्य किया है या कर रहे है ।

 मैने समाचार पत्र मे पढा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने वकीलो से अपील करते हुए कहा है कि आप हिंदी मे बहस करे मै समस्त फैसले हिंदी मे ही दूंगा ।उन्होने कहा कि हिंदी भाषा राष्ट्र को जोडती है ।विदेशो मे हिंदी का निरंतर विस्तार हो रहा है ।यह हमारे लिए गर्व की बात है । 25% फैसला मै हिंदी मे लिख कर देता हूं ।

 हिंदी प्रेमियों आज हिंदी दिवस के दिन यह प्रतिज्ञा करिए कि हम अपने प्रयासो से हिंदी भाषा को उस बुलंदियो पर पहंचाएंगे जहां उसे देखकर हम भी गौरवान्वित महसूस करे।

  आज कम्प्यूटर मोबाइल मे सभी  व्यवस्था हिंदी मे है तो हिंदी से दूरी क्यो? आज हर क्षेत्र की पढाई हिंदी से ही हो रही है तो यह दूरी क्यो?

  रुस अपनी रशियन ( रुसी) भाषा को अपनाकर चीन अपनी चायनीस भाषा को अपनाकर जब देश दुनिया से आगे निकल रहा है तो हमे भी अपनी भाषा से प्यार होना चाहिए।


 हिंदी अपनाओ देश का सम्मान बढ़ाओ

        विदेशी भाषा को हिंदी भाषा के रंगो मे रंगो 


 जय हिंद जय हिंदी ....!

      श्रीमती शांति थवाईत 

( व्याख्याता राजनीति विज्ञान)

          कोटमी डभरा

जिला जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़







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