आत्मविश्वास जिनका ईश्वर : प्रधानमंत्री मोदी जी के जन्मदिवस पर विशेष आलेख महेश राठौर "मलय"
एक चायवाला , एक स्वयं सेवक , एक मुख्यमंत्री फिर देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले नरेन्द्र मोदीजी जी का आज जन्मदिन है । पूरे देश और विदेशों में भी उनके शुभचिंतक आज विविध कार्यक्रमों के माध्यम से मोदीजी का जन्मदिन मना रहे हैं । यदि हम यह कहें कि एक वे "नरेन्द्र" (स्वामी विवेकानंद) थे । जिनके बाद ये "नरेंद्र" ( मोदीजी ) हैं जिन्होंने विश्व पटल पर भारत माता का गौरव बढ़ाने का कार्य किया है तो शायद यह अतिश्योक्ति नहीं होगी । कर्मयोगी मोदीजी का व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है और शायद यही कारण है कि जिनका राजनीति से दूर दूर तक कोई नाता नहीं वे लोग भी मोदीजी की कार्यपद्धति और दृढ़ निश्चय एवं निर्णय क्षमता का मुक्तकंठ से सराहना करते हैं । ऐसे ही व्यक्तियों मे से एक हैं हमारे क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार महेश राठौर "मलय" जिन्होंने आज प्रधानमंत्री मोदीजी के जन्मदिवस पर "संवाद यात्रा न्यूज पोर्टल" के पाठकों के लिए विशेष आलेख लिखा है हम प्रधानमंत्री मोदीजी जी को जन्मदिवस की बधाई देते हुए ,महेश राठौर जी का आभार व्यक्त करते हुए उनका आलेख ज्यों का त्यों यहां प्रकाशित कर रहें हैं -- संपादक अनंत थवाईत
आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी इकहत्तर वर्ष के हो गये। उन्हें हृदय की अनंत गहराइयों से जन्मदिन की शुभकामनाएँ। आज एकादशी तिथि है और भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती भी है। ऐसे पावन दिवस में संयोगवशात् पड़े आदरणीय प्रधानमंत्री जी के जन्मदिवस को उनके लिए और हम सबके लिए सौभाग्यसूचक मानता हूंँ। 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में जन्मे इस व्यक्तित्व को आज पूरा विश्व जानता और मानता है।
26 मई, 2014 को नरेन्द्र मोदी जी के भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री बनने के उपरांत उनकी भाषण-कला और दूरदर्शी सोच के प्रति लोगों की दीवानगी सर चढ़कर बोलने लगी। आत्मविश्वास से लबरेज भाषण देते वक्त उनकी आंगिक भाषा लोगों के भीतर रोमांच और अभूतपूर्व शक्ति का संचार कर देती थी। छाती चौड़ी कर बाजुओं को उठाकर उनके वाक्य-वितरण और प्रतिपादन की विलक्षण शैली ने सबको सम्मोहित किया। मन में अच्छे विचारों का जन्म लेना और उन्हें ज्यों का त्यों लोगों के हृदय तक पहुंँचाना अत्यंत कठिन कार्य है। मोदी जी इस हुनर में निष्णात हैं। अभिव्यक्ति और सम्पेषणीयता दोनों ही बातें इन्हें बखूबी आती हैं।
दृढ़ संकल्पी प्रधानमंत्री के रूप में उनके अनेक कार्यों में तीन-चार उल्लेखनीय निर्णय और महान कार्यों ने पूरे राष्ट्र को प्रसन्नता और गौरव से भर दिया। इनमें पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाना, कश्मीर से धारा 370 हटाना, राममंदिर प्रकरण का निराकरण करना, तलाक कानून का खात्मा आदि शामिल हैं। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।" जो 22 जनवरी, 2015 को पानीपत हरियाणा से आरंभ हुई थी, आज राष्ट्रव्यापी बन चुकी है। इसका उद्देश्य लड़कियों के प्रति नकारात्मक रवैये और भेदभाव को मिटाकर उन्हें शिक्षा जैसे मौलिक और बुनियादी अधिकारों को मुहैय्या कराना है। ताकि देश का सर्वांगीण विकास हो सके। यह कार्य वास्तव में वंदनीय है। स्त्री-सुरक्षा के सख्त कानून ने आज माँ-बहनों को काफी हद तक महफूज किया है।
भारतीय जनमानस को हेयता से मुक्ति दिलाकर स्वाभिमान से भर उठने,स्वदेशी उत्पादों के प्रति आकर्षण और आत्मनिर्भरता का पाठ सिखाने की मोदी जी की प्रेरणा को पूरा भारत नमश् करता है।
वैश्विक महामारी 'कोरोना-काल' में आदरणीय प्रधानमंत्री मंत्री जी ने जिस प्रकार धैर्य, सूझ-बूझ और आध्यात्मिकता का अवलंबन लेकर इस विपत्ति से सबको निकालने का प्रयास किया; वह उनके श्रेष्ठ मुखिया होने का प्रमाण है। इनके प्रधानमंत्री बनने के बाद हर भारतवासी को यह अवश्य लगता है कि हमारे देश के संरक्षक हमें हर परिस्थितियों से निकाल लेंगे। उन्होंने हमारी सेना के भीतर भी प्राण-सुधा का सिंचन किया है।
मेरी समझ में राजा दो प्रकार के होते हैं। एक प्रकार का सोचता है कि वह जब तक सत्ता में है, सब ठीक चले। बाकी के लिए वह अपने को भूमिका-विमुख समझता है। दूसरे प्रकार का राजा अपने कार्यकाल में देश को उन्नत तो बनाता ही है, भविष्य में भी उसके समुन्नत होने की कामना करता है। मेरे ख्याल से मोदीजी का आदर्शवाद भी यही कहता है। उन्होंनेे 'योग' को विश्वविख्यात बनाने में पूरा योग दिया।
विराट शख्शियतों की गुणराशि को बखान पाना मुझ जैसे छोटे कलमकारों के वश की बात नहीं है। मैं तो उन्हेें जन्मदिवस की शुभकामनाएंँ देने के बहाने कुछ लिख पाया, इसकी मुझे परम प्रसन्नता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी निरापद, स्वस्थ रहते हुए शतायु बनें, भगवान से यही प्रार्थना है।
हम सब याद रखें, कोई महान व्यक्ति, राजनेता, वैज्ञानिक आदि हस्तियांँ कोई समुदाय या दलविशेष की नहीं होतीं; वे सार्वजनीन होती हैं। हमें उनकी उत्तमता को हृदयंगम करना चाहिए।
जयहिंद।
पूर्व अध्यक्ष,
अक्षर साहित्य परिषद्, चाँपा (छ.ग.)








सुंदर आलेख
जवाब देंहटाएंलेखक और संपादक को इसके लिए साधुवाद