शासन के रोका छेका अभियान आऊ समारू पहारु के गोठ
संवाद यात्रा / जांजगीर-चांपा / छत्तीसगढ़ / अनंत थवाईत
समारू पहारू के गोठ
समारु.....भइया मोला येक बात बता ,ये रोका छेका के का मतलब होथे?
पहारू.....टुरा टुरी के फलदान (सगाई) होथे तउन ल रोका कहिथे आऊ फलदान होय के बाद येको बछर ले बिहाव नइ होय त ओला छेका कहिथे ।
समारू .....अरे भइया मै बर बिहाव के गोठ नइ करत हांव हमर प्रदेश म आजकल रोका छेका अभियान बढ़ चढ़ के चलत हावय तेकरे गोठ करत हांव ।
पहारू.....अरे त चलही काबर नही ये हर शासन के बड़का बड़का योजना म के एक ठन योजना आय ।
समारू..... लेकिन भइया ये योजना हर काय हावय काकर बर बने हावय जानत हावस ?
पहारू.....तहुं अलकरहा गोठ करथस भाई इहां के लइका लइका मन जानत हावय रोका छेका काय अभियान हे आऊ तैं मोला पुछत हावस ये काय अभियान हे ?
समारू.....जब तैं जानत हस त बता न ये अभियान काय तउन ल। लइका मन के ओढ़र लेके गोठ ल किंदारत काबर हस ।
पहारू.....अरे भाई सड़क म कतको गरुवा बछरू किंदरत बुलत रइथे जेकर कारन आय दिन दुरघटना होवत रइथे आऊ गाय गरुवा के संग कतको मनखे के हाथ गोड़ टुट जाथे कइ झन के तो जान घलव चल देथे । इ सब ल देखके सरकार हर जानवर आऊ मनखे दुनों के सुरकछा खातिर रोका छेका अभियान चलावत हे ।
समारू..... लेकिन भइया, काल मैं रोजगार आफीस कोति गें रहेंव त ओही मेर के चाय दुकान म चाय पीयत पीयत टुरा टुरी मन रोका छेका अभियान के गोठ करत रहिन आऊ ओमन तो येकर आने मतलब बतावत रहिन ।
पहारू.....ओमन का कहत रहिन बता तो ?
समारू.....ओमन कहत रहिस कि जब शासन हर तीन बछर म येको नौकरी नइ निकालय त ओला रोका कहिथे आऊ नौकरी निकाले के बाद तीन बछर ले ओमा नियुक्ति नइ करय त ओला छेका कहिथे ।
पहारू.....मैं समझ गेंव तोर गोठ ल देख भाई जऊन मन ये गोठ करत रहिन ओमन बेरोजगार आय आऊ तेकरे सेति ओमन सरकार के रोका छेका अभियान के उदाहरन देके सरकार उपर अपन भड़ास निकालत रहिन । बियंग कसत रहिन । ये सब ठठ्ठा लबारी के गोठ आय ये गोठ मन ल तैं सिरतो के आय कहिके झन पतियाय कर ।
समारू..... चल तोर कहना मान लेहें भइया कि ओ बेरोजगार टुरा टुरी मन रोका छेका अभियान ल लेके ठठ्ठा लबारी गोठ करत रहिन । लेकिन ये रोका छेका अभियान भी तो सफल नइ होवत हे । गरुवा बछरू मन सड़क म ही किंदरत बुलत हे । गोठान बने हावय तिहां चारा पानी कुछु के बेवस्था नइ हे कई जगहा तो छइहां घलव नइ हे अइसन म गरुवा बछरू मन गोठान ले बाहिर किंदरत बुलत हे ।
पहारू.....देख भाई अब शासन हर रोका छेका योजना तो बना देहे । फेर ये योजना के आड़ म घपला घलव होवत हे । गोठान, गोबर ,गरुवा के नाव म कतको झन टुट पुंजिहा नेता मन शासन के पइसा ल खावत हे । रोका छेका अभियान ल सफल बनाय बर मनखे मन के सहयोग जरुरी हे ।
समारू.....भइगे भइया तैं फेर गोठ ल किंदार के जम्मो मनखे ल जिम्मेदार ठहराय के कोशिश करत हावस । अब ये बिसय म तोर मेर गोठ करना बेकार हे ।
पहारू.....तहि त गोठ ल शुरू करे हावस । महुं ल थोरी सउंख चढ़े हे तोर मेर फालतु गोठ करे के । अब तैं ये मेर ले जा नहीं त तोर मोर बीच म झगरा हो जाही । आऊ मनखे मन हमरे बर रोका छेका अभियान चला दिही ।








Sunder
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