चांपा के स्वतंत्रता सेनानी :डा.शांतिलाल गोपाल
संवाद यात्रा / जांजगीर-चांपा /छत्तीसगढ़ /अनंत थवाईत
सामाजिक साहित्यिक सांस्कृतिक विरासत को समेटे चांपा नगरी की विशेषताओं में एक विशेषता यह भी है कि यह स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में प्रत्यक्ष भूमिका निभाने वाले डॉक्टर शांतिलाल गोपाल जैसे व्यक्तित्व का कर्म क्षेत्र रहा है "कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर ऐ इंसान यह गीता का ज्ञान" इस वाक्य को अपने जीवन में पिरो कर एक निष्काम कर्मयोगी की तरह जीवन जीने वाले डॉ शांति लाल गोपाल का जन्म 25 दिसंबर 1915 को ग्राम जांजगीर जिला बिलासपुर में हुआ उनके पिता स्वर्गीय श्री जनक रामगोपाल प्रायमरी स्कूल में शिक्षक थे डॉक्टर शांतिलाल गोपाल जी का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था जब यह 5 वर्ष के थे तभी उनकी माता जी का निधन हो गया था घर की आर्थिक स्थिति कोई खास अच्छी नहीं होने के कारण उन्हें जीवन पर्यंत संघर्ष करना पड़ा मेधावी छात्र होने के कारण उन्हें विद्यार्थी जीवन में छात्रवृत्ति मिलती रही हाई स्कूल की शिक्षा बिलासपुर में प्राप्त करने के बाद इन्होंने राबर्डसन मेडिकल स्कूल नागपुर में एल एम पी की डिग्री प्राप्त की यह साल भर "मेंओं "अस्पताल नागपुर में हाउस सर्जन रहे 1940 में उन्होंने नौकरी छोड़ चांपा में प्राइवेट प्रैक्टिस किया अपने समय के जाने-माने चिकित्सक डॉक्टर गोपाल ने भारत मिशन अस्पताल का संचालन किया उनके अस्पताल का बोर्ड "भारत मिशन अस्पताल शांतिलाल गोपाल" कोई कविता की पंक्ति की तरह लोगों के जुबान पर चढ़ गया था भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने क्रांतिवीर श्री बागड़ी के निर्देशन में भूमिगत रहकर जोखिम उठाते हुए कार्य किया अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में शांतिलाल गोपाल का नाम भी शामिल हुआ वह दो बार चांपा नगर पालिका के अध्यक्ष भी चुने गए इनके कार्यकाल में निर्मित हाई स्कूल भवन, कॉलेज भवन,सीमेंट रोड ,आदि की गुणवत्ता का आज लोग उदाहरण देते हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों का मान सम्मान मे भी स्वार्थ की राजनीति हावी रहती है । यही कारण है कि आज चांपा मे इस स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर कोई भवन या उद्यान नही हैं । यदि इनके परिवार के सदस्य भी सक्रिय राजनीति में रहते तो शायद इनके नाम से भी अनेक भवन होते । विशेष अवसरों पर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपनी पार्टी के तय कार्यक्रम के अनुसार इस स्वतंत्रता सेनानी के घर आते हैं और परिजनों से मिलकर फोटो खिंचवाते है ।और बड़े शान से बताते हैं कि हमने स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से मुलाकात की है।








सादर नमन
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